जर्जर मकानो΄ मे΄ रहने को मजबूर

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बालाघाट (पद्मेश न्यूज)। एशिया में अव्वल स्थान रखने वाली भरवेली माइंस में पदस्थ कर्मचारियों को प्रबंधन की लापरवाही के चलते जर्जर मकानों में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है । बरसों बीत जाने के बाद भी मॉयल प्रबंधन के द्वारा जर्जर मकानों को व्यवस्थित किया जाने की पहल नहीं की गई है जिसके कारण बारिश के दौरान जर्जर मकानों में रहने वाले कर्मचारियों को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है गौरतलब है कि मॉयल भरवेली में कार्यरत कर्मचारियों के लिए काफी वर्ष पूर्व ग्राम पंचायत भरवेली के सामने करीब 1 दर्जन से अधिक क्वार्टर बनाए गए थे लेकिन एक दशक बीत जाने के बाद भी इन क्वार्टर की सुध प्रबंधन के द्वारा नहीं ली गई है मकानों में कई पीढिय़ों से मायल के कर्मचारी सुविधा के अभाव में जीवन यापन कर रहे हैं लेकिन व्यवस्थाओं को मॉयल प्रबंधन नजरअंदाज कर रहा है मकानों की हालत इतनी जर्जर है कि वह कभी भी जमींदोज हो सकते हैं भरवेली माइंस के वरिष्ठ अधिकारियों की माने तो उन्होंने कर्मचारियों को नए मकान में शिफ्ट होने का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने ही उस ऑफर को ठुकरा दिया जबकि कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें मायल प्रबंधन के द्वारा मकान ही उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है जिसके लिए उन्होंने कई बार प्रबंधन को आवेदन भी दे चुका है।
मॉयल को करोड़ों कमा कर देने वाले कर्मचारी कर रहे हैं मुसीबत का सामना
भरवेली माइंस में वर्षों से अपनी सेवाएं देने वाले कर्मचारियों के निवास को लेकर प्रबंधन के द्वारा उदासीनता बरती जा रही है जबकि इन्हीं कर्मचारियों के बदौलत आज करोड़ों रुपए कमा रहा है कुछ कर्मचारियों के लिए व्यवस्थाओं के नाम पर केवल दर्जन भर मकान बचे हुए हैं जिसमें कर्मचारी अपने परिवार के साथ जैसे तैसे जीवन यापन कर रहा है लेकिन इन परिवारों को लेकर अब तक मायल प्रबंधन के द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।
मॉयल प्रबंधन द्वारा समस्याओं पर नहीं दिया जा रहा ध्यान -गोरेलाल कठोते
पद्मेश न्यूज़ से चर्चा के दौरान मॉयल कर्मचारी गोरेलाल कटौती ने बताया मॉयल के द्वारा जो मकान बनाए गए थे उन मकानों में वे तीन पीढिय़ों से रह रहे हैं लेकिन इन मकानों की हालत वर्तमान में पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है वही बारिश के समय हालात यह हो जाते हैं कि घर में बैठने तक की जगह नहीं होती इस समस्या को लेकर कई बार आवेदन भी दिया गया लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई वही वर्षों से मकानों का जीर्णोद्धार भी नहीं किया गया जिसके कारण व जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं इन मकानों में करीब आधा दर्जन कर्मचारी रहते हैं वही प्रबंधन से शिफ्ट के लिए कई बार आवेदन भी दिया गया लेकिन अब तक मकान उपलब्ध नहीं करवाया गया है जिसके कारण वह टूटे-फूटे कमरों में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं।
कर्मचारियों को नए मकान में शिफ्ट होने का दिया गया था ऑफर- मॉयल प्रबंधक
दूरभाष पर चर्चा के दौरान मॉयल प्रबंधक उमेश सिंह भाटी ने बताया कि मायल के जो पुराने सरकारी क्वार्टर है वहां पर दो से तीन कर्मचारी रह रहे हैं जहां की व्यवस्थाएं काफी बेहतर नहीं है और वहां की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किए जाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को नए नवनिर्मित भवन में शिफ्ट किए जाने का ऑफर भी दिया गया था लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया है उन्होंने कहा कि काफी वर्ष पूर्व कर्मचारियों के लिए क्वार्टर बनाए गए थे लेकिन उनकी हालत जर्जर हो चुकी है क्योंकि कर्मचारी कई वर्षों से उन मकानों मे रह रहे हैं जिसकेेे कारण उनका लगाव उन मकानों से हो गया है इसलिए वे मकानों को छोडऩा नहीं चाहते फिर भी वह शीघ्र ही इन मकानों की मरम्मत कर यहां की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करेंगे।

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