जर्जर शासकीय आवास को तिरपाल का सहारा

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जिला मुख्यालय में शासन द्वारा शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों को रहने के लिए जो आवास दिए गए हैं, वे काफी जर्जर हो चुके हैं।वही वर्षों से इन आवासों की मरम्मत नहीं हो पाई है। आलम यह है कि इन आवासों में अब बारिश के पानी से बचाव के लिए तिरपाल का उपयोग किया जा रहा है। यह समस्या वर्षों से बनी हुई है। लेकिन अभी तक इसका स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है। जिले में मानसून ने दस्तक दे दी है। बावजूद इसके इन शासकीय आवासों की अभी तक मरम्मत नहीं हो पाई है।

मरम्मत की राह देख रहे शासकीय आवास
जिला मुख्यालय में पदस्थ दर्जनों अधिकारियों-कर्मचारियों को शासकीय आवास का आबंटन किया गया है। लेकिन इन आवासों की मरम्मत काफी वर्षों से नहीं हो पाई है। कर्मचारी टूटते मकानों मेें बरसाती पानी के टपकों के साथ पूरा मानसून सीजन निकालने के लिए मजबूर रहते हैं। ऐसे में उन्हें जर्जर हो चुके आवास में तिरपाल लगाकर बारिश के पानी से बचने का जतन करना पड़ता है। नगर मुख्यालय में अधिकांश शासकीय आवास सिविल लाइन क्षेत्र में ही मौजूद है। इसी क्षेत्र में अधिकारियों के साथ-साथ कर्मचारी वर्ग भी निवास करता है। जिनका रखरखाव लोक निर्माण विभाग के जिम्मे है। लंबे समय से इन आवासों का रखरखाव, मेंटनेंस, दीवार, दरवाजे, छत सहित अन्य की मरम्मत विभागीय रुप से नहीं की गई है।

वर्षों से नहीं हुई मरम्मत
शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों के आवास की वर्षों से मरम्मत नहीं हो पाई है।जिसके कारण प्रतिवर्ष बारिश के दिनों में आवास पर तिरपाल लगाई जाती है। ताकि बारिश के पानी से बचाव हो सकें। इस वर्ष अधिकांश शासकीय आवासों की तिरपाल भी क्षतिग्रस्त हो गई है। जिसके चलते ऐसे आवासों से बारिश का पानी टपकने की संभावना बनी हुई है।

कमरों में टपकता है पानी
शासकीय आवासों की यह स्थिति है कि बारिश का पानी अमूमन सभी कमरों में टपकता है। जिसके कारण वहां निवास करने वाले कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बताया गया है कि इन शासकीय आवासों की दुर्दशा के पीछे साफतौर से लोक निर्माण विभाग जिम्मेदार है। विभाग के पास शासकीय आवासों के मरम्मत के लिए हर वर्ष फंड आता है। लेकिन आवासों में थोड़ी बहुत मरम्मत करा कर विभाग अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेता है। जिसके कारण इस तरह की समस्या बनी हुई है।

जहरीले जीव जंतुओं का खतरा
बारिश के दिनों में एक तो वैसे ही चारो ओर पानी होता है। वहीं जर्जर आवास भी अंदर से नमी युक्त हो जाते हैं। ऐसे में इन भवनों में जहरीले जीव जंतुओं के घरों में प्रवेश करने की संभावना बनी रहती है। जिसके कारण वहां निवास करने वाले परिवारों पर खतरा मंडराते रहता है।

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