जांच में 10 से 15 प्रतिशत मिल रहे डेंगू के मरीज

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राजधानी के अस्तपालों में डेंगू और मलेरिया के मरीजों की संख्या बढती जा रही है। बारिश थमने के अब प्रशासन के समक्ष इन बीमारियों के रोकथाम की नई चुनौतियां मुंह उठाए खडी है। लोगों की लापरवाही की वजह से मलेरिया, डेंगू को फैलने में मदद मिल रही है। लोग घरों में जमे हुए पानी को साफ नहीं कर रहे हैं इससे मच्छर की तादाद बढती जा रही है। अस्पतालों में डेंगू की जांच कराने वालों में से 10 से 15 प्रतिशत इस बीमारी से संक्रमित रहे हैं। इसकी बड़ी वजह यह कि सिर्फ उन्हीं मरीजों के सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहे हैं, जो जिन्हें डेंगू निकलने की आशंका बहुत ज्यादा रहती है। इस साल जुलाई में 214 सैंपलों की जांच में 26 मरीज मिले हैं। इसी तरह से अगस्त में 240 सैंपलों की जांच की गई। इसमें 27 पाजिटिव आए । यानी संक्रमण दर 11 प्रतिशत रही। हालांकि, यह ब्यौरा एलाइजा टेस्ट रिपोर्ट का है। भोपाल में कई निजी अस्पताल रैपिड किट से डेंगू की जांच कर रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इस जांच को पुख्ता नहीं मानता और न ही जानकारी को साझा किया जाता। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि पिछले एक साल में लार्वा सर्वे कभी बंद नहीं किया गया है। लोगों में जागरुकता आई है। वह घर में पानी जमा नहीं कर रहैं, जिससे मच्छर कम हैं। इस कारण मामले की पिछले साल की तुलना में कम आ रहे हैं।कूलर, गमला, पक्षियों के लिए भरा पानी, बर्तन टंकियों का पानी हर हफ्ते बदलें।दिन में मच्छरदानी लगाएं।तेज बुखार के साथ सिरदर्द, शरीर में लाल चकत्ते या दांत से खून आ रहा हो तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं।डेंगू होने पर एस्प्रिन दवा न लें। पानी के कंटेनरों में कीड़े की तरह तैरते हुए लार्वा दिखें तो उन्हें मारने के लिए सरसो का तेल डालें।

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