जाति देखकर मनरेगा का भुगतान

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मध्य प्रदेश शासन के एक तुगलकी फरमान से वारासिवनी जनपद पंचायत क्षेत्र के ओबीसी और सामान्य जाति के मजदूर जिन्होंने मनरेगा में काम किया है उन्हें मजदूरी के भुगतान के लिए अभी और लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।

दरअसल पूरा मामला इस तरह से है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा कोरोना संक्रमण काल की दूसरी लहर के दौरान जिले के भीतर रोजगार देने के उद्देश्य से मनरेगा के काम तो करवा लिए और बकायदा इस संक्रमण के दौर में मजदूरों को काम देने के नाम पर जमकर वाहवाही लूटी गई लेकिन जब भुगतान करने की बारी आई तो इसमें जाति की बड़ी खाई खोद दी गई।

जाति के नाम पर मजदूरों को बांट दिया गया ओबीसी और सामान्य वर्ग के मजदूरों को मजदूरी के भुगतान से अलग कर दिया गया और उन्हें इंतजार करने का आदेश दिया गया तो वही एससी और एसटी वर्ग के मजदूरों के खाते में राशि का भुगतान कर दिया गया। अब तक हुआ भी ऐसा ही ओबीसी और सामान्य वर्ग के मजदूरों के खाते में राशि नहीं आई तो वही एसटी और एससी समाज के मजदूरों के खातों में राशि का भुगतान हो।

वारासिवनी जनपद पंचायत के सीईओ डी के कर्पे ने भी इस बात को माना कि इस बार जो भुगतान हुए हैं उसमें थोड़ी भ्रांति दिखाई देती है जो इस प्रकार से है।

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