जान जोखिम में डालकर क्षतिग्रस्त पुल से कर रहे आवागमन

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नगर मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत औल्याक न्हार के अंतर्गत आने वाली ग्राम मुरलीखाम से पंढरापानी पहुंच मार्ग पर स्थित पुल भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था जिससे स्थानीयजनों, किसानों, राहगीरों व स्कूली ब’चों को आवागमन में बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। उक्त समस्या को विगत माह बालाघाट एक्सप्रेस अखबार में समाचार प्रकाशित किया गया था। जिसके बाद प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क निर्माण कंपनी के द्वारा पुल का पक्का निर्माण के स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत मिट्टी डालकर कच्चा पुल का निर्माण किया गया है परन्तु यह निर्माण भी गुणवत्तापूर्ण नही किया गया है साथ ही उक्त पुल से भारी वाहनों का आवागमन होना संभव नही है परन्तु आने-जाने का कोई दुसरा रास्ता नही होने के कारण किसान अपनी बैलगाड़ी से खेती कार्य करते एवं स्कूली व ग्रामीणजन क्षतिग्रस्त पुल के ऊपर से आना-जाना कर रहे है इस दौरान उनमें हमेशा दुर्घटना होने डर बना हुआ हैऔर किसी भी समय बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है जबकि प्रशासन को पक्के पुल का निर्माण किया जाना चाहिए। प्रशासन के द्वारा मिट्टी डालकर पुल का निर्माण किया गया है जो तेज बारिश होने पर बहकर क्षतिग्रस्त हो जायेगी और समस्या जस की तस हो जायेगी। विदित हो कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क विभाग के द्वारा विगत वर्ष पूर्व पंढरापानी व मुरलीखाम के बीच नाले पर लाखों रूपयों की लागत से पुल का निर्माण किया गया था परन्तु बरसात के दिनों में तेज बारिश होने पर पुल क्षतिग्रस्त हो चुका था जिसके बाद से दोनों ग्रामों का संपर्क टूट चुका था जिससे किसानों के खेती कार्य प्रभावित होने के साथ ही उन्हे आवागमन करने में बेहद ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। जिसके बाद गत माह प्रशासन के द्वारा किसानों की समस्या को देखते हुए मिट्टी डालकर क्षतिग्रस्त पुल का मरम्मत कार्य करवाया गया है परन्तु वह कार्य भी गुणवत्ताहीन हुआ है अगर उक्त स्थान से अगर भारी वाहन गुजरता है तो पुल पुन: क्षतिग्रस्त हो जायेगा। ग्रामीणजनों ने शासन-प्रशासन से गुणवत्तापूर्ण पक्के पुल का निर्माण जल्द करवाये जाने की मांग की है।

चर्चा में ग्रामीणों ने बताया कि यह पुल दो ग्राम पंचायतों को आपस में जोड़ता है जिससे रोजाना बड़ी संख्या में ग्रामीणजन व राहगीर आवागमन करते है वहीं इस मार्ग पर स्थानीय किसानों की कृषि भूमि भी है जहां उनके द्वारा कृषि कार्य किया जाता है परंतु भारी बारिश के कारण पुल क्षतिग्रस्त हो चुका था जिससे उन्हें पुल के दूसरी तरफ स्थित खेत में जाने में बेहद ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और वर्तमान मेें प्रशासन के द्वारा अस्थाई रूप से क्षतिग्रस्त पुल क ा मरम्मत कार्य कर मिट्टी डालकर छोटे वाहनों के आवागमन के लिए बना दिया गया है परन्तु वहां कार्य भी गुणवत्तापूर्ण नही किया गया है और वर्तमान में किसानों की गाहनी कार्य जारी है । इस दौरान खेतों से धान बैलगाड़ी के माध्यम से ले जाते समय कच्चा पुल टूटने का डर बना हुआ है जिससे किसी भी समय बड़ी दुर्घटनाएं भी घटित हो सकती है इसलिए शासन-प्रशासन से मांग है कि पक्के पुल का निर्माण जल्द करवाये ताकि भारी वाहन के साथ ही छोटे वाहन व बैलगाड़ी गुजर सके।

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