जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर घिसरी नदी के तट पर बसे परसवाड़ा- बोरी और कटगी गाँव के लोग बारिश की 4 महीने जान जोखिम में डालकर रोजाना घिसरी नदी पार कर खेती के काम और बच्चे स्कूल पढ़ाई करने जा रहे है, वर्षों की समस्या के लिए दर्जनों बार आंदोलन हुए नेताओं ने वादे किए लेकिन नतीजा सिफर ही रहा आज भी लोग जान जोखिम में डालकर घिसरी नदी पार करने को मजबूर है।
4 महीने की परेशानी
स्थानीजनों ने बताया कि घिसरी नदी के एक तट पर बोरी तो दूसरे तट पर परसवाड़ा और कटंगी गांव बसा है। ऐसे में बोरी के लोगों की जमीन परसवाड़ा और कटंगी में है तो इसी तरह परसवाड़ा के लोगों की जमीन कटंगी और बोरी गाँव में है। बारिश के 4 महीने किसान खेती के लिए नदी पार करके अपने खेत पर जाते हैं। इस दौरान दर्जनों बार बाढ़ जैसे हालात निर्मित हो जाते हैं। कई बार किसानों को अपने खेत में तक रात गुजारनी पड़ती है। इससे भी अधिक बूरे हालात बोरी और कटगी गांव के हैं, जहां के 1000 से अधिक बच्चे रोजाना जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं और परसवाड़ा स्कूल तक आते और शाम को घर वापस लौटते हैं।
कोई सुनता नहीं
घिसर्री नदी के बारे में बता दें कि हट्टा-परसवाड़ा क्षेत्र गावो में थोड़ी सी बारिश होने पर नदी में बाढ़ जैसे हालात निर्मित हो जाते हैं। इस कारण कई बार नदी पार करने के दौरान ही नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। जिससे लोगों की जान पर तक बन आती है। ऐसा नहीं है कि नदी पार करते समय कोई हादसा ना हुआ हो, बावजूद उसके कोई सुनता नहीं जिससे यह परेशानी वर्षो वर्ष से चले आ रही है।
दिए दर्जनों आवेदन- टिकेश कटरे
परसवाड़ा निवासी टिकेश कटरे बताते हैं कि उनकी और ग्रामीण जनों के द्वारा शासन प्रशासन के जिम्मेदारों को दर्जनों बार परसवाड़ा-बोरी और कटंगी गांव की परेशानी को देखते हुए नदी पर पुल बनाए जाने की मांग का आवेदन दिया जा चुका है हर बार आश्वासन मिलता है कोई कहता है संभाग सेतु विभाग द्वारा इस नदी पर पुल बनाया जाएगा तो कोई कहता है लोक निर्माण विभाग जल्द काम शुरू कर देगी लेकिन वर्षो बीत गए वादे पूरे नहीं हुए आज भी लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं। हमेशा इस बात का डर बना रहता है कि नदी में यदि अचानक पानी भर गया तो कोई बड़ी घटना ना घटित हो जाए।
बहुत लगता है डर- सीमा उके
परसवाड़ा निवासी सीमा उके कहती की मजबूरी है खेती करना जरूरी है, इसीलिए नदी पार करके उस पार धान की रोपाई करने जाते हैं बहुत अधिक डर लगता है लेकिन क्या करें यदि नदी पार नहीं करेंगे तो खेती कैसे होगी जीवन कैसे चलेगा सरकार ध्यान नहीं दे रही इसलिए यह सब मजबूरी है पहले कई बार घटनाएं हो चुकी है लेकिन हर बार आश्वासन मिलता है काम नहीं होता।
500 किसान परेशान -जियालाल भूंजाड़े
परसवाड़ा के ही एक किसान जियालाल भूंजाडे बताते हैं कि नदी के इस पार और उस पार तीनो गांव के लोगों की खेती है चाहे चाहे वह बोरी हो कटंगी हो या फिर हो परसवाड़ा हर किसी को नदी पार करके खेती करने जाना है यह संख्या 1-2 किसानों की नहीं है या परेशानी 500 से अधिक किसानों की है। क्या बच्चे? क्या बड़े? क्या बूढ़े ? हर कोई नदी पार करते है। हमें तो लगता है जिस दिन पुल बनेगा उसी दिन हमें इस घिसर्री नदी से आजादी मिलेगी।