जिला मुख्यालय सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में गणेश उत्सव की तैयारियां शुरू हो गई है।19 सितंबर से शुरू होने वाले गणेश उत्सव को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है ।वहीं गणेश उत्सव की तारीख को अनक़रीब देखते हुए मूर्तिकार गणेश प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने की तैयारी में जुट चुके हैं। बताया जा रहा है कि जिला मुख्यालय सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में 19 सितंबर को श्रद्धालु भक्त गणों द्वारा घरो व चौक चौराहों में गणेश प्रतिमा स्थापित की जाएगी।जहां 10 दिनों तक विशेष पूजा अर्चना कर 29 सितंबर से धूमधाम के साथ इन प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा। जहां श्रद्धालु भक्तगण बैंड बाजे के साथ विभिन्न जलाशयों में पहुंचकर “अगले बरस तू जल्दी आ” के नारों के साथ गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन करेंगे। 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव को लेकर जहां तमाम पंडाल समिति वालों ने इस उत्सव में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की तैयारियां शुरू कर दी हैं। तो वहीं भाड़ा, मिट्टी, मटेरियल के दामो में आए उछाल से मूर्तिकार काफी परेशान हैं। वहीं, प्रतिमाओं की मांग में फिलहाल ना होने पर मूर्तिकारों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही है।
बाजार में रौनक बिखेर रही गणेश प्रतिमाए
गणेश उत्सव को अन करीब देते हुए बाजार भगवान गणेश की प्रतिमा उसे सज चुके हैं। जहां 100रु से लेकर 15हज़ार रु तक की सजी धजी मूर्तियां बिक्री के लिए तैयार है।जो लोगो को अपनी ओर आकर्षित करते नजर आ रही है।इस शैली की मूर्तियों में गणेश भगवान चूहे, गरुण, मोर, पर्वत और कोई आसन लगाए बैठे हैं।देखने में यह मूर्तियां अधिक आकर्षक लग रही है। बताया जा रहा है कि पहले श्रद्धालु साइज के हिसाब से ही मूर्तियां खरीदते थे, लेकिन अब सुंदरता, कलर मैचिंग, कपड़े व सजावट को भी पैमाना मानते हैं।
पीओपी प्रतिमा निर्माण से मूर्तिकार कर रहे परहेज
प्रशासनिक अनुमति ना होने के चलते इस वर्ष मूर्तिकार पीओपी की मूर्तियां बनाने से परहेज कर रहे हैं और नगर के ज्यादातर मूर्तिकार मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने में जुटे हुए हैं।वही है मंहगाई बढ़ाने और कारोबार में आई गिरावट के चलते मूर्तिकारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।आपको बताए कि मूर्तिकारों के लिए यह वह समय होता था जब वे साल भर के लिए अपनी कमाई तीन से चार माह के भीतर कर लेते है।
पर्यावरण को ध्यान में रख मिट्टी की बनाई जा रही प्रतिमाए
पीओपी की प्रतिमाएं बैन होने के चलते नगर के मूर्तिकार मिट्टी की प्रतिमाएं बनाकर उन प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। बताया जा रहा है कि पर्यावरण के प्रति आई जागरुकता के कारण मूर्तिकार सिर्फ मिट्टी की ही मूर्तिया बना रहे है। वही श्रद्धालुओं में भी मिट्टी की प्रतिमा की मांग हर साल बढती जा रही है। क्योंकि ऐसी प्रतिमाएं विसर्जन के दौरान पानी में आसानी से घुल जाती हैं। मूर्ति की सजावट के लिए प्लास्टिक एवं अन्य चीजों का उपयोग भी नही किया जा रहा है।वही लोगों का पीओपी प्रतिमा के प्रति रुझान कम हो रहा है। वही प्रशासनिक आदेश के तहत मूर्तिकार भी पीओपी से बनी मूर्तियों से परहेज कर, मिट्टी से बनी प्रतिमाएं बनाने और उन्हें अंतिम रूप देने में जुट चुके हैं।
फिलहाल नही है प्रतिमाओ की मांग
इस बार समितियों के द्वारा बड़ी प्रतिमाओं को बनाने का ज्यादा ऑर्डर नहीं दिया गया है।मूर्तिकारो का कहना है कि अभी छोटे सांचे की मूर्तियां बनाई जा रही जो घर-घर मे विराजमान होने की वजह अच्छी मांग रहती और जैसे समितियों का ऑर्डर मिलेगा तो बड़ी मूर्तियों को अंतिम आकार देकर रंग रोगन के साथ फाइनल टच दे दिया जाएगा।










































