दहेज प्रकरणों पर अंकुश लगाने और सामाजिक जागरूकता लाने के लिए महिला सशक्तिकरण विभाग के अंतर्गत दहेज सलाहकार बोर्ड का गठन किया गया था लेकिन विभागीय तालमेल ना होने के कारण अब तक दहेज संबंधी प्रकरणों में किसी भी प्रकार की कमी नजर नहीं आई है। शासन के महिला सशक्तिकरण विभाग को स्पष्ट निर्देश है कि दहेज जैसी सामाजिक कुप्रथा को खत्म करने के लिए हर 3 महीने में दहेज सलाहकार बोर्ड की मीटिंग आयोजित कर इस गंभीर मसले पर विचार करते हुए प्राप्त प्रकरणों पर त्वरित कार्यवाही कर उनकी समीक्षा की जाए लेकिन पिछले 6 महीने से दहेज सलाहकार बोर्ड की बैठक की आयोजित नहीं की गई
वही 6 महीने बाद आज महिला सशक्तिकरण कार्यालय में दहेज सलाहकार बोर्ड की बैठक आहूत की गई लेकिन इस बैठक में भी विभागों के अधिकारियों तालमेल की कमी नजर आई जहां एक और दहेज सलाहकार बोर्ड अध्यक्ष फिरोजा खान ने जिले में दहेज प्रकरणों में इजाफा होने की जानकारी दी वहीं जिला दहेज प्रतिषेध अधिकारी सोमनाथ रॉय अनौपचारिक चर्चा के दौरान बैैठक में इस बात का जिक्र कर दिया कि दहेज सलाहकार बोर्ड के सदस्य अब तक सक्रिय नहीं थे जिसके चलते तीन माह से शासन स्तर पर निरंक रिपोर्ट भेजी जा रही है
दहेज सलाहकार बोर्ड अध्यक्ष श्रीमती खान से दूरभाष पर चर्चा की गई तो उन्होंनेे बताया कि जिले में दहेज प्रकरणों की संख्या में इजाफा हो रहा है जिसके कारण काफी महिलाएं ससुराल नहीं जाना चाहती उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया है कि वे अब न्याय चाहती हैं उन्होंने कहा कि इस सामाजिक बुराई को दूर करने में महिला सशक्तिकरण विभाग के अधिकारियोंं को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी उन्होंने कहा कि क्योंकि जिला विधिक अधिकारी जिला दहेज प्रतिषेध अधिकारी होते हैं लेकिन इस बात की जानकारी भी काफी लोगों को नहीं है।










































