भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान हमेशा सर्वोपरि रहा है। हर किसी के घर में गुरु की तस्वीर जरूर दिखाई देती है, लेकिन किसी उद्योगपति की नहीं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गुरु का स्थान सर्वोपरि है। नवदुनिया ने लगातार पांच साल से ज्योतिर्मय सम्मान कार्यक्रम आयोजित कर बहुत ही अच्छी पहल की है। यह बात गृह मंत्री डाॅ. नरोत्तम मिश्रा ने सोमवार को होटल सयाजी में आयोजित ज्योतिर्मय सम्मान समारोह के दौरान कही। उन्होंने 22 गुरुजनों का सम्मान किया।कार्यक्रम में नईदुनिया के राज्य संपादक सद्गुरु शरण अवस्थी, नईदुनिया के आपरेशन हेड नरेश पांडे, स्थानीय संपादक नवदुनिया भोपाल संजय मिश्र, यूनिट हेड मानवेंद्र द्विवेदी, राज्य ब्यूरो धनंजय प्रताप सिंह भी मौजूद थे।
मंत्री ने शिष्य नचिकेता और उनके गुरु का उदाहरण दिया। साथ ही गुरु शुक्राचार्य और शिष्य कच्छ की कहानी को भी सुनाया। उन्होंने कहा कि आज वो पीढ़ी है जो सुप्रीमकोर्ट में हलफनामा देती है कि रामायण एक काल्पनिक ग्रंथ है, लेकिन जब नासा के विज्ञानी यह सिद्ध कर देते हैं कि रामसेतु पुल बनाया गया है तो विश्वास कर लेती है। यह बड़ी विडंबना है कि हमारी जो शिक्षा और संस्कृति है हम उसपर विश्वास नहीं करते हैं और दूसरों पर विश्वास कर लेते हैं। हमारे यहां के पंचांग को देखकर बता दिया जाता है कि बारिश कब होगी और प्रलय कब आएगा। हम अपनी संस्कृति को छोड़ रहे हैं। शिक्षकों की यह महती जिम्मेदारी है। आज की पीढ़ी को लाल, बाल, पाल के बारे में जानकारी नहीं है।
मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी से रिश्तों में भावनात्मक लगाव खत्म कर दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में काेरोना महामारी ज्यादा नहीं फैला, क्योंकि गांव में आज भी भारतीय संस्कृति का पालन होता है। अपने जीवन में नियमित दिनचर्या का पालन करना चाहिए। शिक्षकों को बच्चों को जीवन जीने क सलीका सीखाना चाहिए
कार्यक्रम में नईदुनिया के राज्य संपादक सदगुरु शरण अवस्थी ने अपने संबोधन में कहा कि पूरी दुनिया को यह आशंका थी कि कोरोना से सबसे ज्यादा भारत ही प्रभावित होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सरकार व समाज ने जिस तरह से मिलकर काम किया, उससे यह संकट उतना गहरा नहीं हुआ, जैसी आशंका थी।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों ने अहम भूमिका रही है। हमारी परंपरा ही ऐसी है कि शिक्षकों को भगवान से भी ऊपर का स्थान दिया जाता है। कोरोना काल में जब सबकुछ ठप हो गया तब भी शिक्षा की लौ जलती रही। शिक्षकों ने गलियों में तो कहीं पेड़ों के नीचे कक्षाएं लगाई। शिक्षकाें ने बच्चों को घर-घर जाकर पढ़ाया।
उल्लेखनीय है कि नवदुनिया सामाजिक सरोकार की दिशा में सदैव अग्रणी रहा है। इसी क्रम में यह पांचवां सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इसमें 22 शिक्षकों और शिक्षाविदों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में शिक्षकों के साथ-साथ शिक्षा जगत से जुड़े संस्थान के उच्च पदों पर आसीन अधिकारी भी शामिल हुए।