डॉलर के मुकाबले अबतक के सबसे निचले स्तर पर रुपया गिरावट का दौर लगातार जारी

0

डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। सोमवार को यह अबतक की सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। जिसके बाद एक डॉलर की कीमत 82.68 रुपये हो गई है। आज सुबह डॉलर के मुकाबले रुपया 38 पैसे और कमजोर हो गया है। डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत की बड़ी वजह कच्चे तेल की कीमतों मेंं आई तेजी, यूएस ट्रेजरी यील्ड (भारत में बॉन्ड कहते हैं) में इजाफा, कम होता फॉरेक्स रिजर्व है। अब सवाल ये है कि रुपये की गिरावट का आप पर या देश की इकोनॉमी पर क्या असर होगा? आइए इसे समझ लेते हैं। रुपया के कमजोर होने से देश में महंगाई बढ़ जाएगी। दरअसल, भारत अपनी जरूरत का 70 फीसदी से ज्यादा पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है। भारत का आयात डॉलर में होता है। रुपया कमजोर होने से भारत को आयात के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा भुगतान करना होगा। पेट्रोलियम उत्पादों के आयात महंगा होने की वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ा सकती हैं। ईंधन के दाम बढ़ेंगे तो माल ढुलाई का चार्ज बढ़ जाएगा। आमतौर पर यह देखा गया है कि जब भी पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं तो माल ढुलाई के चार्ज भी बढ़ जाते हैं। इस अतिरिक्त चार्ज की वजह से कंपनियों या कारोबारियों का मार्जिन कम होगा और फिर इसकी वसूली ग्राहकों से की जाएगी। वसूली के लिए प्रोडक्ट के दाम बढ़ा दिए जाएंगे। आपको बता दें कि भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है। रुपया के कमजोर होने का असर घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतों पर दिख सकता है और इसके रेट बढ़ सकते हैं। इसके अलावा जितने भी विदेश से प्रोडक्ट आयात किए जाते हैं, कमोबेश सब पर इसका असर दिखेगा। वहीं, रुपया में गिरावट की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार भी कमजोर होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here