सामाजिक भेदभाव के चलते अनुसूचित जाति वर्ग के 30 वर्षीय व्यक्ति की हत्या के लगभग एक दशक पुराने मामले में जिला अदालत ने मंगलवार को नौ लोगों को उम्रकैद की सजा सुनायी। अभियोजन विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी के मुताबिक हत्याकांड के शिकार दलित व्यक्ति से मुजरिम इसलिए नाराज थे क्योंकि उसने उनकी इच्छा के विरुद्ध जिले के एक गांव में चाय की गुमटी रख दी थी।
विशेष न्यायाधीश रेणुका कंचन ने इस मामले में नौ लोगों को भारतीय दंड विधान की धारा 302 (हत्या) और अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत दोषी करार दिया। अभियोजन ने अदालत के सामने करीब 35 गवाह पेश किए थे।
विशेष लोक अभियोजक विशाल आनंद श्रीवास्तव ने बताया कि सभी नौ लोगों पर खुड़ैल क्षेत्र के असरावदा फाटा गांव में 12 नवंबर 2010 की रात लाखन लुहाने (30) की धारदार हथियारों से हत्या का जुर्म साबित हुआ। उन्होंने बताया कि लुहाने अनुसूचित जाति वर्ग से ताल्लुक रखते थे और उन्होंने गांव में चाय की दुकान चलाने के लिए लकड़ी की गुमटी रखी थी।
विशेष लोक अभियोजक ने कहा, “मामले में दोषी करार दिए गए लोग लुहाने के गांव से सटे असरावद बुजुर्ग के ताकतवर तबके से ताल्लुक रखते हैं। वे लुहाने द्वारा चाय की गुमटी रखे जाने से नाराज थे। जातिगत भेदभाव के चलते हुए विवाद में अनुसूचित जाति वर्ग के इस व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी।”