केंद्र सरकार जल्द ही दल बदल कानून में संशोधन करने के लिए प्रावधान करने जा रही है। बजट सत्र के दौरान विधेयक पेश किया जाएगा। दल बदल कानून के अंतर्गत अब पंजीकृत दलों के पदाधिकारियों को भी इसकी सीमा में लाया जाएगा।
कानून मंत्रालय के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मान्यता प्राप्त, राष्ट्रीय एवं स्थानीय दल के निर्वाचित प्रतिनिधि और पार्टी के पदाधिकारी, यदि 6 महीने पहले पार्टी को बदलेंगे तो 5 साल तक के लिए कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इस तरह का प्रावधान दल बदल विधेयक में प्रस्तावित है।
कानून मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सभी दलों द्वारा दलबदल को लेकर चिंता जताई गई है। निर्वाचित विधायकों की खरीद-फरोख्त के साथ ही स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रभावित हो रहे हैं। भय और लालच के कारण से पार्टी बदलने की परंपरा कुछ सालों में बेतहाशा बढ़ी है।
दलबदल करने वाले निर्वाचित प्रतिनिधि को अगले 5 साल तक किसी भी चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने पर रोक होगी। निर्दलीय चुनाव लड़ने पर यह रोक लागू नहीं होगी। कानून मंत्रालय दलबदल विधेयक में संशोधन करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है। चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों की सहमति के बाद इसे बजट सत्र में लाया जाएगा।