दाना जैसे दानव तूफान ओडिशा आकर क्यों हो जाते हैं फुस्स, सुपर साइक्लोन के 25 साल बाद यह राज्य कैसे बना रोल मॉडल

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नई दिल्ली: ओडिशा में चक्रवाती तूफान दाना ने तबाही मचानी शुरू कर दी है। बीते 24 घंटों में यह तूफान 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से केंद्रपाड़ा जिले के भीतकर्णिका और भद्रक जिले के धामरा के तटों से टकराया। माना जा रहा है कि इस तूफान से ओडिशा की पूरी आबादी पर असर पड़ने की आशंका है। ओडिशा में 14 जिलों के 10 लाख लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जाना है। तूफान का असर ओडिशा के अलावा बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों पर भी प़ड़ा है।
ओडिशा में सुपर साइक्लोन की तबाही के 25 साल हो गए हैं। इस आपदा में तब 1.8 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। 10 हजार से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। इन 25 साल में ओडिशा ने खुद को ऐसा बदला कि वह बेहतर आपदा प्रबंधन के मामले में दूसरे राज्यों के लिए नजीर साबित हो सकता है। आखिर एक छोटे से बीमारू राज्य ने खुद को कैसे बदला और किस तरह से पूरे देश के लिए रोल मॉडल बन गया। जानते हैं विकास की कहानी।

बरसों की तैयारी ने ओडिशा को बनाया ढाल

ओडिशा की वर्षों की योजना और तैयारी का फल यह मिला कि शक्तिशाली चक्रवातों से होने वाली मौतें कभी भी दोहरे अंक को पार नहीं कर पाईं। जब 2013 में चक्रवात फेलिन ओडिशा के तटों से टकराया तो ओडिशा ने दुनिया में सबसे सफल आपदा प्रबंधन प्रयासों में से एक को अंजाम दिया। सुपर चक्रवात के बाद देश में आने वाले सबसे शक्तिशाली चक्रवात से पहले करीब 10 लाख लोगों को निकाला गया। 2019 में जब एक और शक्तिशाली चक्रवात फानी आया तो ओडिशा सरकार ने उच्च स्तर की तैयारी दिखाई और इन पूर्वानुमानों के आधार पर लगभग 12 लाख लोगों को सुरक्षित निकाल लिया।

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