नगर के श्रीराम मंदिर परिसर में 23 सितंबर को विश्व हिंदू परिषद के तत्वाधान में समस्त दुर्गाउत्सव समिति की सामूहिक बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक जिला संघचालक वैभव कश्यप, वीएचपी जिलाध्यक्ष यंज्ञेश चावड़ा, नवदुर्गा उत्सव समिति अध्यक्ष संजय सिंह कछवाहा, विहिप नगर अध्यक्ष बालाघाट सुशील ठाकुर, अभिषेक अग्रवाल, प्रखंड अध्यक्ष विजय पटले, सहित अन्य गणमान्य जानो की उपस्थिति में प्रारम्भ की गई। जिसमें नगर के सभी दुर्गाउत्सव की गरबा समिति पदाधिकारी सदस्यों गणमान्य जानो से विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। जिसमें गरबे की गाइडलाइन तय की गई की गरबा 12 बजे रात्रि तक बंद कर दिया जाएगा। जहाँ फिल्मी गाने नहीं बजाये जाएंगे पारंपरिकर वेशभूषा का पालन किया जाएगा माता के गीत का उपयोग होगा। यह निर्णय लिये गये वही माता रानी का विसर्जन एक साथ करने की सहमति नही बन पाई। इस अवसर पर बालू रुसिया बलराम पारधी संजय रूसिया राकेश सोनी विनय सुराना रतन अग्रवाल विनय नागेंद्र हितेंद्र पात्रे देव निखारे पंकज एड़े कैलाश कसार शुभम शुक्ला हरिश सचदेव दिलीप शर्मा दिलीप पटले प्रताप निर्मल प्रतीक नेवारे सुमित मिश्रा अमन पटेल बाबी चौरसिया केतन जैन सहित अन्य गणमान्य नागरिकगण उपस्थित रहे।
विहत जिला अध्यक्ष यज्ञेश चावड़ा ने चर्चा में बताएं कि 4 दिन पहले बालाघाट में गरबे की बैठक हुई थी उसी के तहत यहां पर भी बैठक की गई है। जिसमें पता चला कि यहां कुछ अलग नहीं होता है माता के पंडाल में ही सभी आयोजन किए जाते हैं जो गर्व की बात है। हमारा भी कहना है कि एक नहीं 50 जगह गरबा आयोजन किया जाए परंतु माता की स्थापना के साथ और पंडाल में यह कार्यक्रम हो। परंतु बिना माता के स्थापना के गरबा नहीं होना चाहिए इसके साथ कई विषय सामने आए जो सब ठीक है पर ऐसी सोच के साथ उत्सव वारासिवनी में मनाया जा रहा है जो बालाघाट ही नहीं पूरे प्रांत के लिए एक संदेश है कि ऐसा भी कोई क्षेत्र है जहां आपसी समन्वय के साथ बेहतर दुर्गा उत्सव मनाया जाता है जबकि सभी में कंपटीशन और एकता देखने मिलेगी।
नवदुर्गा उत्सव समिति अध्यक्ष संजय सिंह कछवाहा ने बताया कि यह बैठक अच्छी रही जिसमें एक सुझाव आया कि वारासिवनी में 7 से 8 जगह माता रानी की स्थापना होती है तो भव्य सामूहिक विसर्जन किया जाये। गरबे की जो बात रही तो हिन्दू धर्म मे माता दुर्गा हमारी आराध्य है जहां भारतीय संस्कृति का ध्यान रखते हुए दिखावा नहीं भक्ति भाव के साथ होना चाहिये। विश्व हिंदू परिषद और सभी समिति साथ में आए हैं उद्देश है कि हिंदू समाज को जोड़कर संस्कृति का ध्यान रखना। एक साथ विसर्जन पर 90 प्रतिशत सहमत है एक बैठक ओर की जाएगी हमारे यहां स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होती है। दशहरे में जो हमारा भंडारा होता है उससे बड़ा भंडारा बालाघाट में नहीं होता हर जगह 9 दिन भंडारा चलते रहता है। सभी जगह समन्वय के साथ कार्यक्रम कर हिंदू समाज को संगठित करेंगे परंतु संस्कारों का ध्यान रखना होगा और ध्यान यह भी देना है की नई पीढ़ी को धर्म से जोड़ना है तो ज्यादा सख्ती भी नहीं कर सकते हैं पर संतुलन बनाकर कार्य किया जाएगा।