दुर्घटना से जुड़े मामलों में ‘दावे’ से ज्यादा ‘मुआवजा’ दे सकती हैं अदालतें : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि सड़क दुर्घटना के मामलों में पीड़ित परिवार द्वारा दावा की गई राशि से अधिक मुआवजा देने के लिए ट्रिब्यूनल/अदालत पर कोई प्रतिबंध नहीं है और एक दुर्घटना में जान गंवाने वाले 12 साल के लड़के के परिवार को 5 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्णय सुनाया। हालांकि, मृतक के परिजनों ने सिर्फ 2 लाख रुपए के मुआवजे का दावा किया था।
मुआवजे की राशि को बढ़ाते हुए, जस्टिस संजीव खन्ना और के माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि दावा की गई राशि के बावजूद, मुआवजा कानून के अनुसार उचित होना चाहिए। पीठ ने शीर्ष अदालत के पहले के फैसले का जिक्र करते हुए कहा इस बात पर कोई प्रतिबंध नहीं है कि ट्रिब्यूनल/अदालत दावा की गई राशि से अधिक मुआवजे का आदेश नहीं दे सकते हैं।
ट्रिब्यूनल/अदालत को न्यायसंगत मुआवजा देना चाहिए, जो रिकॉर्ड में पेश किए गए सबूतों के आधार पर तथ्यात्मक और उचित लगे। इसलिए, यदि कोई ऐसा मामला हो जिसमें, दावा याचिका में किया गया मूल्यांकन कम हो दावा की गई राशि से अधिक मुआवजा देने में बाधा नहीं होगी।
उपरोक्त मामले में दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने परिवार को एकमुश्त 1.5 लाख रुपये का मुआवजा दिया था, जिसे झारखंड हाईकोर्ट ने दावा याचिका के मूल्य तक बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया था। यह देखते हुए कि मृतक एक मेधावी छात्र था और एक निजी स्कूल में पढ़ रहा था, शीर्ष अदालत ने कहा कि परिवार के लिए आय के नुकसान का फैसला करने के लिए उसकी अनुमानित कमाई 30,000 रुपए प्रति माह मानी जानी चाहिए।
पीठ ने कहा हमारे विचार में, मुआवजे की उक्त राशि उचित नहीं है। इसलिए, हम कुल मुआवजे को 5 लाख रुपए निर्धारित करते हैं। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने दुर्घटना से जुड़े एक मामले में मुआवजा राशि को बढ़ाया था। तब पीठ ने कहा था कानून बखूबी तय है कि मुआवजे के मामले में वास्तव में यथोचित और देय राशि दी जाए, बावजूद इसके कि दावेदारों ने कम राशि की मांग की है और दावा याचिका का मूल्यांकन कम मूल्य पर किया गया है।

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