होली के बाद से मौसम में हुए बदलाव और गर्मी की दस्तक के साथ ही 40 डिग्री तापमान ने शुरुआती दौर में ही गर्मी की तपिश को बढ़ाने के साथ ही नौनिहालों से लेकर बच्चों में पानी की कमी की वजह से डायरिया के मरीज को बढ़ा दिया है।
इस पर स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश के बाद मार्च महीने के अंतिम सप्ताह से शुरू हुए नए शिक्षण सत्र ने तो जैसे भट्टी की तरह उबल रहे स्कूलो ने बच्चों की और अधिक आफत बढ़ा दी है।
तपती दोपहरी में स्कूल से घर ऑटो रिक्शा बस या फिर मोटरसाइकिल में आना और लू के थपेड़ों का शिकार हो जाना इन दिनों बच्चों के लिए एक आम बात हो गई है नतीजा बुखार और डायरिया का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है।
महज 15 दिन के भीतर जिला अस्पताल से लेकर निजी नर्सिंग होम में डायरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो घर में रहने वाले छोटे बच्चों से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चों में यह बीमारी तेजी से बढ़ी है।
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ संजय धबड़गांव के अनुसार रोजाना 7 से 8 बच्चे डायरिया से पीड़ित होकर अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। निजी नर्सिंग होम का आंकड़ा और कहीं अधिक है। इसकी मुख्य वजह बच्चों का धूप में घर से बाहर निकलना शरीर में पानी की कमी और खान-पान पर विशेष ध्यान नहीं देना बताया जा रहा है।
निश्चित की प्रदेश शासन द्वारा नए शिक्षण सत्र की शुरुआत तो बड़े ही हर्षोल्लास के साथ कर दी गई लेकिन इस दौरान एक बात को शासन भूल गया की तपती दोपहरी में बच्चों को स्कूल जाना और वहां पढ़ाई करना किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं है। ऐसे में घर के भीतर कूलर और एसी के सामने रहने वाले बच्चों के लिए स्कूल की तपती छत के नीचे गर्म हवा फेंकने वाले पंखे के नीचे रहना बेहद मुश्किल हो रहा है।
हमारे पड़ोसी जिले छिंदवाड़ा का एक आदेश सोशल मीडिया में बड़ी तेजी से सोमवार को वायरल होता दिखाई दिया कि तेज धूप और गर्मी की वजह से कलेक्टर छिंदवाड़ा ने स्कूल के समय में बदलाव कर दिया।
पद्मेश न्यूज़ में भी बालाघाट के भीतर 40 डिग्री से अधिक बढ़ते तापमान और डायरिया के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी अश्विनी कुमार उपाध्याय से चर्चा की उन्होंने बताया कि बढ़ते तापमान को देखते हुए कलेक्टर डॉ गिरीश कुमार मिश्रा से उनकी स्कूल के समय में परिवर्तन को लेकर चर्चा चल रही है जल्द ही इस विषय में आदेश कर दिए जाएंगे।
निश्चित ही इस भीषण गर्मी के बीच बच्चों को घर से बाहर भेजना परिजनों के लिए भी किसी परेशानी से कम नहीं है। लेकिन वर्तमान समय की हायर और फायर वाली पढ़ाई को देखते हुए परिजन यह जोखिम उठा रहे हैं। ऐसे में सूत्रों की बातों पर यकीन किया जाए तो वर्तमान समय में स्कूलों के भीतर बच्चों से फीस वसूली के अलावा दूसरा बड़ा काम होता दिखाई नहीं दे रहा है। इसकी बड़ी वजह स्वयं स्कूल के संचालक और शिक्षक गर्मी को बता रहे हैं। वह भी मानते हैं कि गर्मी बहुत अधिक है ऐसे में बच्चों से पढ़ाई करवाना थोड़ा कठिन हो रहा है। लेकिन क्या करें सरकार का आदेश है मगर इस बात से इनकार करते हैं कि इस दौरान उनके द्वारा मई-जून की फीस के लिए परिजनों पर दबाव डाला जा रहा है। सच्चाई यही है कि इस भीषण गर्मी और भट्टी की तरह गर्म हो चुकी स्कूल में बच्चों को बुलाने का मुख्य उद्देश्य फीस पूरी वसूली करना ही बताया जा रहा है।
इंतजार अब इस बात का है कि छिंदवाड़ा की तरह बालाघाट जिले में स्कूल के समय में बदलाव किया जाता है या फिर प्रदेश शासन स्वयं पहल करते हुए स्कूलों को बंद करने का आदेश सुना दे।