दो साल से अपरिवर्तित आयकर स्लैब, इस साल पांच लाख रुपये तक छूट की मांग

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1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट में नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग के लिए प्रत्यक्ष कर में छूट की मांग की जा रही है। राहत की यह मांग करदाता ही नहीं बाजार और कारोबार क्षेत्र के लोग भी कर रहे हैं। दरअसल महामारी और महंगाई के दोहरे संकट से मंद पड़े बाजारों की निगाह भी मध्यम वर्ग पर टिकी है। बाजार चाहता है कि मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा के हाथ में बचत दिखे ताकि वह बाजार में खर्च कर सके। दो साल से आयकर स्लैब अपरिवर्तित है। इस बजट में स्लैब बढ़ने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है।

एसोसिएशन आफ इंडस्ट्रीज मप्र ने भी बजट पूर्व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सुझाव भेजे हैं। एआइएमपी के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया के अनुसार फिलहाल आयकर स्लैब 2.50 लाख रुपये है उसे बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जाना चाहिए, क्योंकि निर्मित उत्पादों की कीमतें साल-डेढ़ साल में डेढ़ से पौने दो गुना तक बढ़ी हैं। उपभोक्ताओं की क्रय क्षमता बढ़ानी है तो यह कदम उठाना ही होगा। अहिल्या चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल के अनुसार महंगाई चरम पर है। दो वर्षों से प्रत्यक्ष कर में कोई राहत नहीं मिली है। दरअसल बजट का सीधा संबंध अब बाजार की महंगाई से नहीं रहा है। जीएसटी के बाद वस्तुओं के दाम तो उसी पर निर्भर है। बजट के प्रविधान लोगों की बचत को प्रभावित कर सकते हैं। बीते बजट में किसानों, उद्योगों और व्यापारी सबको कुछ न कुछ मिला, लेकिन मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा को कुछ नहीं। महामारी के बाद यह वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित है। ऐसे में आयकर स्लैब को बढ़ाकर 5 लाख वार्षिक किया जाना चाहिए। इसी के साथ मेडिकल खर्च, हेल्थ इंश्युरेंस जैसे मुद्दे पर भी सरकार से टैक्स में राहत और बड़ी घोषणाओं की अपेक्षा की जा रही है।

किसान-मध्यम वर्ग पर केंद्रित – सीए स्वप्निल जैन के अनुसार पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। बीते दौर के बाद इस बजट में किसानों के लिए बड़ी घोषणा या फंड का ऐलान होने की उम्मीद की जा रही है। आयकर स्लैब को बढ़ाकर 5 लाख किए जाने की पूरी उम्मीद है। दरअसल अब तक सरकार रिबेट के रूप में 5 लाख तक आय वालों को छूट दे रही थी। अब स्लैब बढ़ा तो इस आय वर्ग के लोगों को रिटर्न दाखिल करने की कार्रवाई से मुक्ति मिल जाएगी। 80 (सी) के डिडक्शन और नेशनल पेंशन स्कीम की सीमा भी सरकार बढ़ा सकती है। 80 (सी) में छूट की सीमा तो 2014 से नहीं बढ़ी है। इसी तरह निजी क्षेत्र के कर्मचारी, कामगारों के लिए नेशनल पेंशन स्कीम की छूट भी 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख की जा सकती है।

उद्योगों ने भेजे ये भी सुझाव

– आयकर के अंतर्गत पार्टनरशिप एवं एलएलपी की आयकर स्लैब को कम करना चाहिए। जिस तरह गत वर्ष कार्पोरेट टैक्स को कम किया गया था।

– इंम्पोर्ट टू एक्सपोर्ट रेशो में बदलाव होना चाहिए, साथ ही इसेंशियल कमोडिटी आयटम पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम हो और नान इसेंशियल कमोडिटी पर इम्पोर्ट ड्यूटी को बढ़ाया जाना चाहिए।

– वेंचर कैपिटल को केपिंग के साथ बढ़ाया जाना चाहिए। इससे स्टार्टअप और नए उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा।

– इज आफ डुईंग बिजनेस के तहत जीएसटी/आइटीआर की औपचारिकताओं को कम से कम कर सरलीकृत किया जाना चाहिए।

– एनजीटी के नियमों के कारण शहरी उद्योगों को कई प्रकार की समस्याएं आ रही हैं। उन्हें शहरी क्षेत्र से बाहर जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। अतः इसके लिए सरकार एक पैकेज दे, ऐसे उद्योगों की मदद करे।

– शासकीय खरीद में 45 दिनों में भुगतान नहीं होने पर लघु श्रेणी उद्योगों को भारी परेशानी होती है। इसके लिए अपेक्षा है कि सरकार ऐसे विभागीय अधिकारी की जिम्मेदारी तय करे और उद्योगों को 45 दिनों में भुगतान सुनिश्चित करे।

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