‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म बनाने के पहले हम लोगों के सामने सबसे बड़ी दुविधा ये थी कि कश्मीर में जो पंडितों को निकाला गया, वो धार्मिक पृष्ठभूमि पर निकाला गया था। तो अगर हम ये फिल्म बनाते हैं, तो हमें हिंदू और मुसलमान इन शब्दों का प्रयोग करना ही पड़ेगा, इसे टाला नहीं जा सकता। ऐसे में वे लोग जो पहले से ही नहीं चाहते कि अच्छी व सच्ची फिल्में बनें, उन्हें तो हम बोलने का मौका दे रहे थे कि देखो, ये लोग मजहबी फिल्में बना रहे हैं, मजहबी तनाव बढ़ा रहे हैं। ऐसे में हम लोगों को बहुत संभलकर काम करना था कि कहीं हम मुस्लिम विरोधी फिल्म ना बना दें। हमारा मकसद साफ था कि हमें मुसलमानों के खिलाफ फिल्म नहीं बनानी, हमें सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ फिल्म बनानी है। अब ये बहुत परेशान करने वाला संयोग है कि पंडितों को इस्लाम के नाम पर निकाला गया। हमने पहले खुद से सवाल किया कि आखिर एक धर्म को बदनाम कौन कर रहा है? फिल्म बना कर हम करेंगे या वे कर रहे हैं, जो आतंकवाद फैला रहे हैं। यह कहना था ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म की निर्माता और अभिनेत्री पल्लवी जोशी। रविवार सुबह वे अपने पति और इस फिल्म के निर्देशक व लेखक विवेक अग्निहोत्री के साथ ‘नवदुनिया’ भोपाल के कार्यालय मौजूद थीं। यहां इस फिल्मकार दंपती ने भोपाल में बसे कश्मीरी पंडित परिवारों व संपादकीय टीम के साथ अपने अनुभवों को साझा किया।
बच्चों ने कहा कि हम भी आपके साथ काम करेंगे
पल्लवी जोशी ने कहा कि आजकल मौलिक होने का ठप्पा बहुत जल्दी लगता है। हम लोगों को एक चिंता ये भी थी कि हम तो ये सब इल्जाम झेल लेंगे, लेकिन बच्चों का क्या? बच्चों को इन सब से समस्या न हो क्योंकि उनके कैरियर तो शुरू हुआ है। ठीक है, हम फिल्म निर्माता हैं, लेखक हैं, लेकिन अंतत: हम माता-पिता भी हैं। अगर हम बच्चों की जिंदगी संवार नहीं सकते, तो कम से कम बिगाड़ने का काम न करें। तो हमने बच्चों मनन और मल्लिका को भी अपने निर्णय में शामिल किया कि हम ऐसे-ऐसे फिल्म बनाने जा रहे हैं। आप लोगों को अभी बता रहे हैं ताकि आप बाद में ये न कहो कि हमें बताया नहीं। इस पर बच्चों ने जो प्रतिक्रिया दी, वो मेरे दिल को छू गई।

इतना कहते हुए पल्लवी जोशी फिर भावुक हो गईं और कुछ देर रुककर आंसू पोंछते हुए बोलीं, मेरे दोनों बच्चों ने एक साथ कहा कि ‘हम आपके साथ हैं। अगर ये सब सच है, सही तो हमें भी इसमें जुड़ना है और आप लोगों के साथ इस पर काम करना है। इसके बाद बेटे मनन ने विवेक को निर्देशन में साथ दिया। बेटी ने प्रोडक्शन में मेरी मदद की। शूटिंग के वक्त जब कालेज के भीड़ वाले सीन थे और डायलोग बोलने के लिए कुछ विद्यार्थियों की जरूरत थी, तो उन्होंने वो भी बोले। फ्री कश्मीर का नारा मेरी बेटी ने लगाया। आखिर में वो कहती है, असली बात कहो, ज्ञान मत बांटो, वो मेरी बेटी है और जो उसे चुप करता है और कहता है कि मुझे कृष्णा की बात सुननी है, वो मेरा बेटा है।
फफक-फफक कर रो पड़े अनिल भट्ट, बोले- मुझे मेरे कश्मीर वाले घर वापस भेज दो

इस मौके पर दानिश कुंज निवासी कश्मीरी पंडित अनिल भट्ट अपने पिता चुन्नीलाल भट्ट के साथ मौजूद थे। अपनी व्यथा विवेक अग्निहोत्री को बताते हुए वे फकक-फकक कर रो पड़े। उन्होंने कहा कि आज भी मेरे अंदर वो 20 साल का लड़का मौजूद है, जो अपने घर वापस जाना चाहता है। विवेक जी, मुझे मेरा घर दिला दीजिए। मुझे कश्मीर भिजवा दीजिए। आप ही ये कर सकते हैं। वहीं सोनागिरी में रहने वाले रवींद्र कौल और उनकी पत्नी निवेदन कौल ने विवेक अग्निहोत्री और पल्लवी जोशी को उनके जैसे परिवारों के दर्द को सबके सामने लाने के लिए धन्यवाद किया।निवेदन कौल ने बताया कि जब से उन्होंने फिल्म देखी है, उन्हें अपनी मां की बहुत याद आ रही है। अनुपम खेर का किरदार उनकी आंखों के सामने से जा ही नहीं रहा है।

‘दर्द बाकी है’ सीरीज को सराहा

इस मौके पर उन्होंने नवदुनिया/नईदुनिया द्वारा कश्मीरी पंडितों पर चलाई जा रही समाचार श्रृंखला ‘दर्द बाकी है…’ के तहत रोजाना प्रकाशित की जा रही कश्मीरी पंडितों की दर्दभरी कहानियों को एक प्रेजेंटेशन के जरिये देखा और नईदुनिया/नवदुनिया द्वारा किए जा रहे कार्यों के दिल खोलकर प्रशंसा की। विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि आज कई अखबार, टीवी पत्रकार इन बातों को दिखाने व छापने से बच रहे हैं, लेकिन आपने इस पर श्रृंखला चलाई और कश्मीरी पंडित परिवारों को तलाशकर उनकी कहानी लोगों के सामने रखी, इसके लिए आप भी बधाई के पात्र हैं।