धारेश्वर मंदिर में विराजे हैं धार के राजा

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धारेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिवर्ष श्रावण माह में भक्तों का तांता रहता है। कोरोनाकाल में भी यहां होने वाले आयोजन में भक्त जुटते हैं। इस बार गर्भ गृह में भक्तों का प्रवेश नहीं होगा। परमारकाल का यह मंदिर लाल पत्थरों से बना हुआ है, जो विशेष वास्तु कला प्रमाण है। शिवलिंग काले रंग के विशेष चमकीले पाषाण से बना हुआ है। जलाधारी भी प्राचीन कलाकृति वाली है। अहम बात यह है कि वर्तमान में जलाधारी पर सुरक्षा और आस्था की दृष्टि से चांदी की जलाधारी अर्पित की गई है। मंदिर का संचालन राजस्व व धर्मादा विभाग के आयुक्त के माध्यम से किया जाता है। इसके स्थानीय प्रशासक कलेक्टर हैं, भगवान धारनाथ को हर साल छबीने निकाले जाने के पूर्व सशस्त्र बल द्वारा सलामी यानी गार्ड आफ दिया जाता है।

छबीना- राजवंश काल से छबीना यानी पालकी यात्र निकलती आ रही है। श्रावण समाप्त होने के बाद भादौ के दूसरे सोमवार को भगवान धारनाथ पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं। इस दिन वे प्रजा का हाल जानकर आशीर्वाद देते हैं। आज भी राजवंश की पालकी में ही भगवान विराजित होते हैं। हजारों भक्त उत्साह के साथ कांधे पर पालकी उठा कर भ्रमण करवाते हैं। -पं अविनाश दुबे, पुजारी, धारेश्वर मंदिर, धार

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