नगर पालिका बालाघाट आए दिन किसी न किसी विषय को लेकर सुर्खियों में बना ही रहता है कभी नगरपालिका में वेतन नहीं मिलता तो यहां के कर्मचारी नगर पालिका के सामने हड़ताल करते हैं तो कभी विपक्ष के पार्षद द्वारा नगर पालिका के गेट पर ताला लगाया जाता है और अभी हाल ही में एक ताजा मामला ताले लगान को लेकर ही सामने आया है जिसमें नगर पालिका की आवक जावक शाखा की ओर लगे एक दरवाजा जो की दिव्यांगों के लिए जाने आने के लिए बनाया गया है उसे दरवाजे पर नपा.द्वारा ताला लगा दिया गया है जिस कारण से नगरपालिका में काम करने वाले दिव्यांग जनप्रतिनिधियों को लगभग 30 से 40 मी दूरी के फेर से अपनी शाखा में आना पड़ रहा है जिसको लेकर यहां के कर्मचारियों सहित विपक्ष के जनप्रतिनिधियों द्वारा इसकी आवाज उठाई जा रही है कि क्यों आखिर दरवाजे पर इस प्रकार से ताला जड़ दिया गया है जो कि गलत है
आपको बता दे की नगर पालिका की बाहर की ओर लगने वाली आवक जावक शाखा और सूचना के अधिकार की शाखा की ओर लगे एक दरवाजे में नगर पालिका के ही कर्मचारियों द्वारा किस वजह से ताला लगा दिया गया है यह तो पता नही पर नगर पालिका में काम करने वाले दिव्यांग कर्मचारी को अपनी शाखा में आने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है जबकि शासन प्रशासन द्वारा यह निर्देश जारी किए गए हैं कि जो भी शासकीय कार्यालय में दिव्यांग कार्य करते हैं उनके चढ़ने उतरने के लिए रैंप बनाई जाए जिससे वह आसानी से अपने कक्षाओं तक पहुंच पाए किंतु अभी कुछ दिन पहले ही नगर पालिका में रैंप की ओर लगा एक दरवाजे पर नगर पालिका के द्वारा ताला लगा दिया गया है जिससे यहां कार्य करने वाले कर्मचारियों अपने वरिष्ठ अधिकारी व जनप्रतिनिधियों के डर से कैमरे के सामने तो कुछ भी नहीं कहना चाहते किंतु जिस प्रकार से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और उनका यह मानना है कि इस प्रकार से नहीं होना चाहिए उन्हें बेवजह ही 30 से 40 मीटर की दूरी को पर कर अपने कक्ष तक आना पड़ रहा है जबकि देखा जाए तो महज एक ही कक्षा की ओर रैंप बना हुआ है एवं वह उसे रैंप में वर्षों से आवागमन कर रहे थे किंतु अभी कुछ दिन पहले नगर पालिका के द्वारा जिस प्रकार से ताला जड़ दिया गया है वह गलत है और वह छोटे कर्मचारी होने की वजह से वह किसी को कुछ नहीं कर सकते एवं इन कक्षाओं के प्रभारी द्वारा भी इस विषय पर कुछ भी नहीं कहा जा रहा है उनका भी कहना है कि वह इस विषय को लेकर कुछ नहीं कहना चाहते जब हमारे द्वारा प्रभारी सीएमओ वॉचेसपति त्रिपाठी से इस विषय को लेकर चर्चा की गई तो उनके द्वारा भी इस विषय को लेकर नानुकूल किया गया एवं दूरभाष पर दरवाजे को खोलने की बात कही गई अब देखना यह होगा कि क्या सही में दिव्यांगों के हित में देखते हुए यह दरवाजे को खोला जाता है या फिर महज इसी प्रकार से दिव्यांगों को कुछ मीटर की दूरी का फेर कर अपने शाखों तक परेशानियों से आना पड़ता है