वर्षाकाल समाप्त होने को है लेकिन शहर की सड़कों पर पेचवर्क अब तक शुरू नहीं हुआ है। नगर निगम ने एक पखवाड़े पहले दावा किया था कि उसने सड़कों की हालत सुधारने के लिए पेचवर्क अभियान शुरु किया है। दिन रात काम कर सड़कों की हालत सुधार दी जाएगी, लेकिन इस दावे की हकीकत यह है कि शहर के किसी हिस्से में सड़कों का सुधार काम होता हुआ नजर नहीं आ रहा। हालत इतने खराब हैं कि पता ही नहीं चलता कि सड़क पर गढ्डे हैं या गढ्डों के बीच सड़क।
हर वर्ष वर्षाकाल समाप्ति के आसपास नगर निगम सड़कों का सुधार काम शुरू करता है। प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये इस काम पर खर्च होते है बावजूद इसके हालत यह है कि थोड़ी सी वर्षा में ही शहर की सड़कों का दम फूलने लगता है। इस वर्ष तो सड़कों की हालत पिछले वर्षों के मुकाबले ज्यादा ही खराब है।
पूरे शहर में सड़कें खोदी पड़ी हैं। इनमें वर्षा जल जमा होने से परेशानी बढ़ गई है। बीमारी फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। बावजूद इसके नगर निगम ने सड़कों की हालत सुधारने की कोई पहल अब तक नहीं की। हालत यह है कि सड़कों पर वाहन हिचकोले खाते हुए चलते हैं। इससे उनका रखरखाव का खर्च भी बढ़ रहा है।
जिस निजी कंपनी को सीवेज और पेयजल लाइन बिछाने का काम दिया गया है उसने लाइन बिछाने के नाम पर शहर को छलनी करके रख दिया है। सड़कों को खोदा गया, लाइन भी बिछाई लेकिन बाद में खोदी गई सड़कों को सही तरीके से भरा ही नहीं। गढ्डों को सिर्फ मिट्टी डालकर बंद कर दिया गया। वर्षा होते ही यह मिट्टी धंस गई और गढ्डा जस का तस नजर आने लगा। निगम के अधिकारी बार-बार सख्ती का दावा करते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि हो कुछ नहीं रहा।










































