बालाघाट नगर पालिका के भीतर अधिकारी निजी स्वार्थ और स्वयं के लाभ के लिए ना जाने कितने नियमों को ताक पर रखकर काम कर रहे हैं। जिसका परत दर परत पद्मेश न्यूज़ और बालाघाट एक्सप्रेस अखबार के माध्यम से हम खुलासा करते जा रहे हैं।
दरअसल नगर पालिका परिषद द्वारा स्वयं की भूमि पीजी कालेज के करीब स्थित नपा सीएमओ के पुराने निवास स्थल पर व्यवसायिक कांप्लेक्स का निर्माण कार्य कर दुकानों का आवंटन किया जा रहा है। लेकिन इस कार्य में नपा के अधिकारी शासन की दी गई गाइडलाइन का अपने निजी स्वार्थ के चलते उल्लंघन कर रहे हैं। यही हालात स्थानीय काली पुतली स्थिति निर्मित चौपाटी शेड दुकान के आवंटन में दिखाई दी है। दोनों स्थलों की दुकान आवंटन की प्रक्रिया की उच्च स्तरीय जांच की जाए तो पूरे मामले का में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा?
चलिए आपको पूरा मामला विस्तार से और बड़ी बारीकी से समझाते हैं। जिससे आप भी नगरपालिका के भीतर चल रहे इस पूरे गोलमाल को समझ जाए। काली पुतली चौक पर चौपाटी में निर्मित दुकान के निर्माण के पूर्व उस स्थान पर छोटे-छोटे रोजगार अपनी जीविका चलाने के लिए अतिक्रमणकारियों को प्रशासन द्वारा आश्वासन दिया गया था कि गार्डन के साथ चौपाटी का रूप देते हुए ओपन शेड दुकान निर्मित की जायेंगी और कुछ शर्तों पर उन्हें दुकान आवंटित की जाएगी।
लेकिन जैसे ही नगरपालिका के अधिकारियों की नजर इस पर पड़ी तो उनके मुंह में पानी आ गया, फिर क्या था चौपाटी पर दुकान चला कर अपनी जीविका चलाने का ख्वाब सजाने वाले अतिक्रमणकारियों के लिए रहा भी बड़ा रोड़ा खड़ा हो गया? अचानक इन शेडनुमा दुकान की कीमत 7 लाख से 11 लाख कर दी गई। अधिकारियों की मनसा इसमें साफ थी कि अतिक्रमण कारी यह दुकान ना खरीद पाए फिर क्या था उन्होंने अपने सारे नियम को ताक पर रखकर दुकान का आवंटन कर दिया। नतीजा 24 में से 10 शेड दुकान प्रभावशाली लोगों को आवंटित कर दी गई।
यदि नियमानुसार आवंटन की जांच होगी तो पूरे मामले का खुलासा भी हो जाएगा। ऐसे में दुकानों का आवंटन रद्द कर राशि भी राजसात की जा सकती है। लेकिन यह सब काम करेगा कौन बिल्ली के गले में घंटी बाधेगा कौन यह भी बड़ा सवाल है।
इसी तरह शहर की डिग्री कॉलेज के समीप जिसे वर्षों पहले नगर पालिका सीएमओ का बांग्ला कहां जाता था उस जमीन पर तीन मंजिल का कांप्लेक्स बनाया जा रहा है योजना अनुसार तीन दर्जन दुकान और कुछ आवासीय फ्लैट निर्मित होने है। यहां भी आवंटन में भारी अनियमितता बरतने की पूरी पूरी जानकारी मिल रही है। अभी कंपलेक्स बना ही नहीं निर्माणाधीन है लेकिन 8 दुकान 25 फीसदी पैसे लेकर आवंटित कर दी गई है।
नियम है कि किसी कांप्लेक्स में जितनी दुकान का निर्माण होना है उसका पहले एक साथ आरक्षण होगा फिर आरक्षण के आधार पर आवंटन होगा। लेकिन यहां 8 दुकानों आवंटित कर दी गई है। जबकि 3 दर्जन दुकानों पूरी तरह निर्माण के बाद आरक्षण की प्रक्रिया की जानी थी।
इस दौरान दुकानों के आरक्षण की प्रक्रिया में एससी, एसटी का आरक्षण होना था लेकिन इस सारे नियम को ताक पर रखकर पहले ही 8 दुकान आवंटित कर दी गई। बड़ा सवाल यह भी है कि नगरपालिका को इस प्रक्रिया से आर्थिक नुकसान होना तय है क्योंकि अभी दुकान बनी ही नहीं और आज की वैल्यू मात्र 25 फ़ीसदी राशि देकर 8 लोगों के लिए दुकान आरक्षित कर ली गई अब दुकान आवंटन के 2 साल बाद जब निर्मित होगी तभी बाकी 75 प्रतिशत राशि देनी होगी। 2 साल बाद इन दुकानों की वैल्यू आज की वैल्यू क्या होगी इसका अनुमान बढ़ती महंगाई को देखकर लगाया जा सकता है।
दरअसल यह 8 दुकान प्रभावशाली व्यक्तियों एवं करीबियों के साथ-साथ अधिकारी के एक करीबी के नाम पर है जो नपा के मैटेरियल सप्लाई का भी काम करता हैं। उनको भी दो दुकान आवंटित कर दी गई है। नपा में इतनी अधिक अनियमितता हो ना इसलिए संभव हो जाता है क्योंकि परिषद के अधिकांश विपक्षी पार्षदों के भी हित जुड़े होते हैं।