नाबालिक के हत्यारे पति -पत्नी को आजीवन कारावास

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थाना खैरलांजी अंतगर्त आरोपी पति विजय गौतम ने १४ वर्षीय नाबालिक के साथ दुराचार करने की नीयत से छेड़छाड़ कर इज्जत खराब होने के डर से पति -पत्नी ने मिलकर लडक़ी की हत्या कर दी गई थी। जिसमें वारासिवनी न्यायालय की प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सुधीर कुमार ठाकुर की विद्वान अदालत ने २१ फ रवरी २०२४ को नाबालिक के हत्यारे आरोपी पति विजय गौतम और पत्नी आशा गौतम दोनों ग्राम भण्डारबोडी थाना खैरलांजी निवासी को आजीवन कारावास एवं ६००० रुपए के अर्थ दंड से दंडित कर सजा सुनाई है।

यह था मामला

प्राप्त जानकारी के अनुसार २५ अक्टूबर २०२१ को फ रियादी के द्वारा थाना खैरलांजी में इस आशय की मर्ग सूचना लेख कराई गई थी । कि वह खैरलांजी थाना अंतर्गत का रहने वाला है खेती का काम करता है कक्षा दसवी तक पढ़ाई किया है। जिसमें सबसे बड़े भाई की २ बेटी है बड़ी लडक़ी करीब १४ साल तथा छोटी लडक़ी करीब ११ साल की है। २५ अक्टूबर २०२१ की शाम करीब ६ बजे की बात है वह कटोरी बाजार से वापस अपने घर आया तो घर के सामने गावं पड़ोस के लोगों की भीड़ इकट्ठा थी। फिर वह अंदर जाकर देखा तो भाभी ने बताई कि वे लोग बारतबिड़ा के कार्यक्रम में बस्ती में गए थे घर में कोई नहीं था लडक़ी स्कूल गयी थी। जब वह कार्यकम से शाम करीबन ५.३० बजे वापस घर आई तो देखी तो लडक़ी ने घर के अंदर वाली छपरी में टुपट्टे से मयाल में बांधकर फांसी लगी दिखी तो वह चिल्लाई तो आसपास के लोग आ गये। जिन्होंने तुरंत ही लडक़ी को बचाने के लिए फ ांसी लगे फ ंदे को काटकर लडक़ी को नीचे उतार लिये। किंतु जब तक नाबालिक  लडक़ी की मौत हो चुकी थी। जिसमें पुलिस ने मर्ग कायम कर आवश्यक कार्यवाही की गई।

पति- पत्नी ने आत्महत्या का ऐसा रचा था नाटक

मामले में पुलिस के द्वारा मर्ग में जांच प्रारंभ की गई जिसमें पुलिस ने पाया कि आरोपी विजय गौतम घटना की शाम करीब ५.३० बजे पड़ोसी मृतिका नाबालिक के घर गया था। उस समय घर पर मृतिका अकेली थी मोहल्ले में कोई दिखाई नहीं दे रहा था। तब आरोपी विजय ने पानी मांगने के बहाने से मृतिका के साथ बलात्कार करने के आशय से घर में गया मृतिका को पकडऩे लगा। जिससे मृतिका चिल्लाई और कहने लगी कि मम्मी पापा को बतायेगी तो मृतिका की आवाज सुनकर पीछे से आरोपी की पत्नी आशा गौतम आई। तब विजय ने नाबालिक की हत्या करने की नियत से उसको अपने पास रखे गमछे से बांये हाथ से नाक व मूंह दबाया, दाहिने हाथ से गर्दन दबाने लगा। तो नाबालिक छटपटाने लगी तो उसकी पत्नी आरोपी आशा ने मृतिका के पैर पकड़ लिये थोड़ी देर में नाबालिक की मृत्यु हो गई। तब दोनों आरोपीगण ने मिलकर उसके पास रखे उसके लाल रंग के दुपटटे को नाबालिक के गले में बांधकर छपरी में लगी लकड़ी की मयाल में गमछा बांधकर फ ांसी पर टांग दिया। तथा पास में एक कुर्सी को गिरा दिया एवं दोनों आरोपीगण अपने घर चले गये। थोड़ी देर पश्चात मृतिका नाबालिक की मां व चाची घर आई हल्ला होने पर आरोपी विजय मृतिका के घर गया और मृतिका की मां और चांची को रिपोर्ट करने से रोका था एवं उनके कहने पर हंसिया से नाबालिक मृतिका के गर्दन के  उपर दुपटटे को काट दिया तथा लाश को नीचे उतार लिया। फि र कुछ देर बाद वापस अपने घर चला गया।

इन धाराओं में यह सुनाई गई सजा

मामले में पुलिस के द्वारा २७ अक्टूबर २०२१ को आरोपीगण विजय गौतम एवं आशा गौतम को गिरफतार कर साक्षियों के कथन लेकर अदालत में अभियोगपत्र प्रस्तुत किया गया। इसके बाद उक्त प्रकरण प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सुधीर कुमार ठाकुर की अदालत में विचाराधीन था। जिसमें न्यायालय के द्वारा परिस्थितियों को दृष्टिगत् रखते हुए आरोपी विजय गौतम एवं आशा गौतम को भादवि की धारा ३०२ सहपठित धारा ३४ के अपराध के लिए प्रत्येक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा एवं ५०००-५००० रूपये के अर्थदंड तथा भादवि की धारा २०१ सहपठित धारा ३४  के अपराध के लिये प्रत्येक आरोपी को ३-३ वर्ष के सश्रम कारावास की सजा एवं १०००-१००० रूपये के अर्थदंड से दंडित किया गया । वहीं अर्थ दंड की राशि अदा ना किए जाने पर पृथक् से प्रत्येक आरोपी को ६-६ माह के सश्रम कारावास की सजा भुगताये जाने के दंड से दंडित किया जाने सजा सुनाई। उक्त प्रकरण में पीडि़त की ओर से शासकीय अधिवक्ता संतोष लिल्हारे के द्वारा पैरवी की गई।

साक्ष्य और गवाहों के आधार पर न्यायालय ने सुनाई सजा-संतोष लिल्हारे

शासकीय अधिवक्ता संतोष लिल्हारे ने पद्मेश से चर्चा में बताया कि खैरलांजी थाना अंतर्गत नाबालिक का बलात्कार करने की नीयत से आरोपी विजय उसके घर में गया था। जिसके चिल्लाने पर विजय की पत्नी आशा गौतम भी आई और दोनों ने मिलकर नाबालिक का मुंह दबाकर हत्या कर फ ांसी पर लटका दिया गया था। जिसमें पुलिस के द्वारा उक्त दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर भादवि की धारा ३०२,२०१  के तहत अपराध पंजीबद किया गया था। यह अति गंभीर अपराध था जिसमें साक्ष्य और गवाहों के आधार पर प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सुधीर कुमार ठाकुर की अदालत ने दोनों पति-पत्नी को आजीवन कारावास और ६००० रुपए के अर्थ दंड से दंडित कर सजा सुनाई है।

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