वारासिवनी(पद्मेश न्यूज)। वारासिवनी न्यायालय की पास्को एक्ट की विशेष अदालत की विद्वान न्यायाधीश कविता इवनाती ने नाबालिक का अपहरण कर जबरदस्ती दुष्कर्म करने के अपराध में आरोपी विजय पिता किशनलाल ड़हाटे उम्र २४ वर्ष ग्राम सोनखार थाना चांगोटोला को विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास एवं २७०० रुपये के अर्थ दंड से दंडित कर सजा सुनाई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पीडि़ता ने २ मार्च २०२२ को थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि वह अपनी मौसी के घर वारासिवनी में रहकर बीए प्रथम वर्ष की पढाई कर रही है। आरोपी विजय डहाटे दूर के रिश्ते में मेरा चाचा लगता है जो सोनखार में रहता है। वह २२ नवंबर २०२१ की सुबह करीब ११ बजे की बात है मंै कालेज वारासिवनी जा रही थी। जब मंै कालेज चौक के पास पहुंची थी तभी विजय डहाटे बाईक लेकर मेरे पास आया। उसने मुझे बोला कि मुझे तुमसे कुछ बात करनी है गाड़ी में बैठो मैने सोची की मेरे चाचा है कोई जरुरी काम होगा इसलिये मैं गाडी में बैठ गई पर विजय ने मुझे बाईक से अपने साथ सीधे तेज गाडी चलाते हुये नागपुर लेकर चला गया। मुझे नागपुर मानेवाड़ा चौक में एक किराये के कमरे में ले गया धमकी दिया जान से खत्म कर दूंगा । जहाँ विजय ने मेरे साथ जबरदस्ती दो महिने तक जान से मारने की धमकी देकर बार बार जबरदस्ती शारिरिक शोषण बलात्कार करता रहा। १२ जनवरी २०२२ की दोपहर में जब मुझे मौका मिला तो मैं भागकर किसी के मोबाइल से परिवार को फ ोन पर जानकारी दी तो उनके साथ घर वापस आयी। फि र २७ फ रवरी २०२२ को नैनपुर फार्म भरने गयी थी तो वहां पर विजय फिर से बाईक लेकर मेरे पास आया और मुझे धमकी दिया कि तेरा विडियो मेरे पास है जो लखनादौन लेकर गया। पेट्रोल खत्म हो गया वहां एटीएम गार्ड ने मदद कर पुलिस को फोन लगाया जब पुलिस आयी। मामले में वारासिवनी पुलिस के द्वारा भादवि की धारा ३६३,३७६ २ एन ,३४२,५०६ एवं पक्सो की धारा ५एल ६ के तहत अपराध पंजीबद्ध कर मामले में अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इसके बाद यह प्रकरण वारासिवनी न्यायालय में विचाराधीन था। जिसमें पास्को एक्ट की विशेष अदालत की विद्वान न्यायाधीश कविता इवनाती के द्वारा आरोपी विजय पिता किशनलाल ड़हाटे उम्र २४ वर्ष ग्राम सोनखार थाना चांगोटोला निवासी का अपराध सिद्ध होने पर उसे भादवी एवं पक्सो की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास २७०० रुपये के अर्थ दंड से दंडित कर सजा सुनाई गई। उक्त प्रकरण में पैरवी शासकीय अधिवक्ता ऋतुराज कुमरे के द्वारा की गई।