वारासिवनी लालबर्रा मार्ग स्थित टोण्डिया नाले के आसपास खेती में पानी भरने से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिनके चिंता की लकीरें स्पष्ट देखी जा रही है जहां पर अभी भी पानी भरा हुआ है जिसके लिए उनके द्वारा शासन प्रशासन से उचित व्यवस्था करने की बात कही जा रही है जिससे कि उन्हें प्रतिवर्ष होने वाली समस्या का सामना ना करना पड़े। विदित हो कि वर्तमान में खेती किसानी का कार्य चल रहा है ऐसे में प्रत्येक किसान के द्वारा अपने खेतों में परहा कार्य पूर्ण कर लिया गया है या प्रगतिरत है ऐसे में खेत में पानी भरने से उनके परहा और रोपे पर असर पड़ रहा है। जिसको लेकर टोण्डिया नाले के किनारे खेती कार्य कर रहे किसानों के द्वारा नाले का चौड़ीकरण कर गहरीकरण किए जाने की मांग की जा रही है ताकि आसानी से पानी निकासी हो सके और उनके खेतों में जलभराव की स्थिति ना हो।
नाले की बाढ़ से खेतों में घुसा पानी
यहां यह बताना लाजमी है कि वारासिवनी मुख्यालय और ग्राम पंचायत मुरझड़ के मध्य में टोण्डिया नाला बहता है जहां बीते दिनों अधिक बारिश होने से बाढ़ की स्थिति बनी हुई थी और पुलिया के ऊपर से करीब 3 फीट पानी गुजर रहा था। जिसके कारण आवागमन बंद हो गया था इस दौरान यह पानी आसपास के खेतों में घुस गया था जिसके बाद स्थिति सामान्य होने पर नाले में पानी कम हो गया परंतु खेतों में पानी भरा हुआ है। यह पानी कुछ स्थानों पर इस तरह भरा हुआ है कि किसानों का लगाया हुआ परहा पानी में पूरा डूब गया है तो कहीं आधा डूबा हुआ है जिसके कारण उन्हें परा खराब होने की चिंता सता रही है। जिसका पता उन्हें खेतों में भरे पानी के निकलने के बाद ही स्पष्ट होगा क्योंकि बीते करीब 4 दिन से खेतों में पानी भरा हुआ है जिसे निकालने का हर प्रयास किसान के द्वारा किया जा रहा है।
नाला छोटा होने से पानी निकासी की गति रहती है कम
गैरतलब है कि टांडिया नाला पर पुलिया छोटा है वही नाले की चौड़ाई भी कम है ऐसे में इस नाले में मछली फार्म और वारासिवनी की तरफ से इस प्रकार दो छोटे नाले आकर मिलते हैं। जिसके कारण तेज गति से पानी नहीं निकल पाता है और दोनों तरफ स्थित खेतों में पानी भरने लगता है परंतु एक तरफ खेत में भरन भर दिया गया है जिसके कारण यह पानी दूसरे और खेतों में भरता जा रहा है। जिसके निकासी की नाले पर पर्याप्त व्यवस्था न होने से किसानों को यह समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
किसान परिवेश चौधरी ने पदमेंश से चर्चा में बताया कि बारिश ज्यादा होने पर प्रतिवर्ष नाले में बाढ़ आ जाती है और यह समस्या से हमें जूझना पड़ता है क्योंकि पानी ज्यादा आने पर नाला उफान पर आता है तो पानी खेतों में घुसता है। अभी बाढ़ कम हो गई है सामान्य पानी नाले में बह रहा है फिर भी खेतों में पानी भरा हुआ है। श्री चौधरी ने बताया कि इस समस्या के कारण सभी किसानों को चिंता लगी हुई हुई है कि उनका परहा खराब होगा और पानी में बहेगा परंतु यह पानी निकलने पर ही पता चलेगा। अभी लगभग सभी का परहा पूरा हो गया है कुछ लोग बचे हैं जिनका परहा चालू है।
किसान लालचंद चौधरी पद्मेश से चर्चा में बताया कि बाढ़ से खेती खराब हुई है 2 से 3 एकड़ खेती में हमारी पानी घुसा था जहां पर हमारे द्वारा जो परहा लगाया गया था वह खराब हो गया है। यह नुकसानी पानी के द्वारा की गई है परंतु अभी तक कोई अधिकारी हमारे खेतों तक नहीं आया है। श्री चौधरी ने बताया कि इस वर्ष बाढ़ में इतनी ज्यादा परेशानी हुई कि जो पानी था वह हमारे मकान तक पहुंच गया था बस थोड़ा बहुत बचा हुआ था वरना पानी हमारे घरों में भी घुस जाता। यहां पर विभिन्न किसानों की करीब 40 से 45 एकड़ भूमि पानी में डूब गई थी हम शासन से चाहते हैं कि वह जांच कर उचित मुआवजा हमे दे।
किसान संतोष गौतम ने पद्मेश से चर्चा में बताया कि टोण्डिया नाले में यह समस्या हर वर्ष की है कि बारिश अत्याधिक होने पर नालापानी संभाल नहीं पाता है जिसके कारण पानी कि निकलने की गति कम होने से आसपास के खेतों में पानी भर जाता है। जिसका मूल कारण है नाले की गहराई जो बहुत कम है वही सकरा भाग है जिसके कारण पानी रुकता है। श्री गौतम ने बताया कि नाले के पास में भरन डाला गया है जिसमें पानी के फैलाव को रोक दिया है ऐसे में वह एक तरफ बड़ी तेजी से खेतों में बढ़ता है। मछली फार्म के पीछे का भाग जो नाले से लगा हुआ वह खेती पानी में डूबती है और नाले में कम पानी हो तो भी खेतों में पानी भरा रहता है हम चाहते हैं कि इसकी गहराई और चौड़ाई दोनों बढ़ाई जाये।










































