निमाड़ की पहचान को फिर स्थापित करने की कवायद, जंगल व शहरी क्षेत्र में रोपेंगे नीम के पौधे

0

नीम की आड़ यानी निमाड़… इसी वजह से क्षेत्र का नाम निमाड़ पड़ा। अब इसे फिर से चरितार्थ करने के लिए क्षेत्र के पर्यावरण मित्र पहल कर रहे हैं। गर्मी में जंगल क्षेत्र से निंबोली एकत्रित की गई। इन्हें अब खड़कोद आश्रम की नर्सरी में पौधे का रूप दिया जा रहा है। ये पौधे निमाड़ के विभिन्न् हिस्सों में रोपे जाएंगे, वहीं जंगल क्षेत्र में प्रमुख मार्गों के दोनों ओर निंबोली भी फेंकी जाएगी ताकि इनमें से भी अंकुरण हो सके। कुछ सार्वजनिक स्थानों पर भी इसका रोपण किया जाएगा।

शहर से करीब दस किमी दूर खड़कोद में अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा संचालित श्री गुरुकुल गोलोक धाम आश्रम की नर्सरी में निंबोली से नीम के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। मल्चिंग-ट्रे पद्धति से करीब दस हजार पौधे तैयार हो रहे हैं।

गायत्री परिवार के बसंत मोंढे, डॉ. सचिन पाटील, मनोज तिवारी एवं प्रकाश रावत ने बताया कि गर्मी के दिनों में युवाओं की टोली द्वारा जंगल क्षेत्र से निंबोली के बीज एकत्रित कर इन्हें उपचारित किया गया है। ताकि ये पौधे और फिर पेड़ बन सकें। वहीं जंगल क्षेत्र में निंबोली के उपचारित बीज भी फेंके जाएंगे ताकि रिमझिम फुहारों से अंकुरित और पल्लवित होकर पेड़ बन सकें। युवाओं की यह पहल वृक्ष गंगा अभियान का एक हिस्सा है। यह पहल इसलिए भी जरूरी है कि निमाड़ में नीम के पेड़ों की लगातार कमी होती जा रही है। कोरोना संकट में जब ऑक्सीजन की समस्या आई तो लोगों को पेड़ और पर्यावरण की सुध आई।

नीम के कारण निमाड़ की पहचान

गौरतलब है कि निमाड़ में प्राचीन समय में नीम की बहुतायत थी जिसके कारण इस क्षेत्र को विशेष पहचान मिली थी। नीम के कारण ही निमाड़ में निंबोली व इसके तेल का व्यवसाय हुआ करता था। नीम के घने जंगल लोगों को आकर्षित करते थे, वहीं औषधीय वातावरण भी निर्मित होता था। कालांतर में सड़कों के विस्तार और अन्य कई विकास कार्यों के कारण नीम और अन्य पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई हो गई। इस कमी को दूर करने के लिए समाजसेवी युवाओं द्वारा पहल की जा रही है।

इनका कहना है

युवाओं द्वारा नीम का रोपण जंगल क्षेत्र की वृद्धि किए जाने का प्रयास सराहनीय है। वर्तमान परिदृश्य में अधिक से अधिक पेड़ लगाने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विशेष प्रयास करने की जरूरत है। हम भी युवाओं को सहयोग करेंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here