नगर मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में हिन्दु धार्मिक परंपराओं के अनुसार मनाया जाने वाला हरितालिका पर्व ६ सितंबर को महिलाओं के द्वारा भक्तिभाव एवं धार्मिक आस्थाओं के साथ मनाया गया एवं व्रतधारी महिलाओं के द्वारा ७ सितंबर को प्रात:काल गौर विसर्जन किया गया। हरितालिका पर्व के अवसर पर ६ सितंबर को महिलाओं व कुंवारी लड़कियों के द्वारा साज-श्रृंगार कर निर्जला व निराहार व्रत रखा गया एवं शाम को फु लेरा सजाकर बालू से माता गौरी व भगवान शिव की प्रतिमा बनाकर बेलपत्ती, नारियल, हल्दी, कुमकुम, सिंदुर, राम दतुन, फल सहित अन्य पकवानों से भोग लगाकर विशेष पूजा अर्चना की गई तथा रतजगा कर भजन-कीर्तन कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसके बाद दूसरे दिन ७ सितंबर को प्रात: में स्थानीय तालाबों, नदियों व नहरों के तटों मेेंं पहुंचकर विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर आरती पश्चात फूलेरा विसर्जन कर प्रसादी का वितरण किया गया। नगर मुख्यालय में महिला श्रध्दालुओं के द्वारा सर्राटी नदी, पांढरवानी स्थित नवनिर्मित विसर्जन घाट, तहसील कार्यालय रोड़ पुल पनबिहरी एवं अमोली में सर्राटी नदी पर व्रतधारी महिलाओं एवं कुंवारी लड़कियों के द्वारा पूजा-अर्चना और आरती कर आस्थापूर्वक गौर विसर्जित किया गया। इस दौरान उक्त स्थानों में भीड़ रही। आपकों बता दे कि हिंदू धर्म में हरियाली तीज का खास महत्व है एवं भाद्रपक्ष के शुक्ल तृतीय को मनाया जाने वाला यह पर्व महिलाओं और कुंवारी लड़कियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस पर्व के दिन सुहागिन महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है तो वहीं कुं वारी लड़कियां अपने पसंदीदा वर पाने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना करती है एवं रातभर जागकर महिलाओं के द्वारा हरियाली तीज के गीत गाये गये। व्रतधारी महिलाओं ने बताया कि हरितालिका व्रत भाद्रपक्ष के शुक्ल तृतीय को मनाया जाता है और इस पर्व पर निर्जला व्रत रखकर शाम में फुलेरा बांधकर माता पार्वती व भगवान शंकर की पूजा अर्चना की जाती है एवं दुसरे दिन फुलेरा को नदी, तालाब में विसर्जित किया जाता है और यह व्रत पति की दीर्घायु व कुंवारी लड़कियां मनचाह वर मिलने के लिए करती है।










































