भ्रूण लिंग परीक्षण पर सख्ती से रोक के कारण के भी बढ़ रहीं बेटियां
– विशेषज्ञों ने कहा- लोगों में बढ़ी है जागरूकता
भोपाल (नईदुनिया प्रतिनिधि)। खुशखबरी! प्रदेश में बेटियों का मान बढ़ रहा है। लाड़लियों की संख्या बढ़ रही है। 2015-16 में जहां एक हजार बेटों पर 927 बेटियां जन्म ले रही थीं, वहीं 2020-21 में 956 बेटियों का जन्म हुआ है। यह जानकारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-5 में सामने आई है। केद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय यह सर्वे कराता है। इसके यही मायने हैं कि प्रदेश में बेटियां बोझ नहीं वरदान हैं। बेटियों के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाएं, भ्रूण लिंग परीक्षण पर सख्ती से रोक और लोगों में जागररूकता बढ़ने की वजह से लिंग चयन लगभग न के बराबर हो गया है। यही वजह है कि बेटियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के मुताबिक ग्र्रामीण क्षेत्रों में प्रति एक हजार बेटों पर 959 तो शहरी क्षेत्र में 948 बेटियों का जन्म हुआ है। पिछले पांच साल में जन्मे बच्चों के सर्वे में यह जानकारी सामने आई है। शिशु लिंगानुपात के मामले में मध्य प्रदेश की स्थिति राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। पूरे देश में यह अनुपात 2015-16 में 919 था जो 2020-21 में बढ़कर 929 हो गया है।
शिशु मृत्यु दर में 10 अंकों की गिरावट
सर्वे में एक और सुखद आंकड़ा आया है। 2015-16 में जहां प्रति हजार बच्चों में एक साल तक के 51 बच्चों की एक साल की भीतर मौत हो जाती थी वहीं आंकड़ा अब 41 पर आ गया है। हालांकि, पिछले महीने जारी जनगणना निदेशालय के सैंपल रजिस्टेशन सिस्टम (एसआरएस) बुलेटिन 2019 के अनुसार प्रति हजार जीवित जन्म पर एक साल के बच्चे की मौत प्रदेश में 46 है। यह देश में सर्वाधिक है।
इन योजनाओं का भी दिखा असर
लाड़ली लक्ष्मी योजना- अप्रैल 2007 के बाद पैदा होने वाली बेटियों को सरकार एक लाख रुपये का विकास पत्र देती है।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ- इस योजना के तहत बेटियों की शिक्षा के लिए कई सुविधाएं दी जाती हैं।
केद्र सरकार की सुकन्या योजना– बेटियों के नाम से पैसा जमा करने पर बैंकों की तुलना में ज्यादा ब्याज मिलता है।
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मध्य प्रदेश हास्पिटल मैनेजमेंट इन्फार्मेेशन सिस्टम के अनुसार जन्म के समय का लिंगानुपात
साल — लिंगानुपात
2015-16—905
2016-17—938
2017-18—929
2018-19—936
इनका कहना है
बेटियों को बढ़ाने और पढ़ाने के लिए सरकार कई काम कर रही है। उनकी पढ़ाई की चिंता कर रहे हैं। आम लोगों को जागरूक कर रहे हैं। बेटियां बोझ नहीं वरदान हैं। भूण लिंग परीक्षण पर सख्ती की गई। लगातार समीक्षा और निगरानी की। इसी का नतीजा है कि प्रदेश में बेटियां बढ़ रही हैंं।
डा. प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री
अब लोगों में जागरूकता आई है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोग बेटियों को बेटे जैसा ही मान रहे हैं। भ्रूण लिंग परीक्षण को लेकर निगरानी बढ़ी है। कई जिलों में स्टिंग आपरेशन भी किए गए। तकनीक की मदद से भी भ्रूण लिंग परीक्षण रोकने में मदद मिली है।
डा. वीणा सिन्हा, अपर संचालक स्वास्थ्य संचालनालय एवं पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट की जानकार










































