नॉन रेजिडेंट बिहारी बनेंगे बीजेपी के गेमचेंजर, तेजस्वी और पीके को बिहार चुनाव में पटखनी देने का मेगा प्लान क्या है ?

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भोपाल/अहमदाबाद : बिहार चुनाव में बड़ी जीत सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी ने ऐसी सटीक प्लानिंग की है, जिसकी काट लालू यादव, तेजस्वी यादव और पीके जैसे रणनीतिकार के पास भी नहीं है। देश के सभी राज्यों में बिहार दिवस मनाने के बाद अब नॉन रेजिडेंट बिहारी यानी अप्रवासी बिहारियों को चुनाव के दौरान बिहार भेजने की तैयारी कर रही है। बीजेपी का टारगेट दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, पंजाब समेत देश के अन्य राज्यों में बसे करीब 2.75 करोड़ नॉन रेजिडेंट बिहारी हैं। बीजेपी ने इन प्रवासियों से संपर्क के लिए 150 नेता समेत राज्यों के कार्यकर्ताओं की देश के विभिन्न हिस्सों में ड्यूटी लगाई है। अमित शाह और जेपी नड्डा इस कैंपेन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

लोकसभा चुनाव से बाद ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी दूसरे राज्यों से वोटरों को भेजकर चुनाव को प्रभावित करती है। उन्होंने बिहार के आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को भी सतर्क रहने की हिदायत दी थी। बिहार चुनाव से पांच महीने पहले बीजेपी ने बिहार से बाहर अन्य राज्यों रह रहे अप्रवासियों पर डोरे डालना शुरु कर दिया है।

छठ पूजा भी है, ट्रेन से भरकर बिहार जाएंगे बिहारी

जब अक्टूबर में छठ पूजा होगी तब बिहार में विधानसभा चुनाव की गहमागहमी होगी। इस त्योहार पर अपने गांव-घर आने वाले नॉन रेजिडेंट बिहारी भी वोट डालेंगे। प्रवासी बिहारियों को घर जाने में दिक्कत भी नहीं होगी, क्योंकि केंद्र सरकार हर साल देश के हर कोने से बिहार के लिए छठ पूजा स्पेशल ट्रेन चलाती है। संभव है कि इस बार स्पेशल ट्रेनें वोटिंग खत्म होने तक चलाई जाए। अगर बीजेपी ने इन अप्रवासियों का बिहार चुनाव में वोट हासिल कर लिया तो सरकार बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा। बीजेपी का लक्ष्य है कि हर सीट से कम से कम 5,000 प्रवासी बिहारी वापस आकर वोट करें। बिहार विधानसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा तो माना जाएगा कि बीजेपी का नॉन रेजिडेंट बिहारियों वाला प्लान सफल हो गया है।

फर्स्ट फेज में बिहार दिवस, अप्रवासियों का डेटा जमा

पिछले दिनों मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा समेत देश के सभी राज्यों में बिहार दिवस मनाया गया। 11 दिनों के इस अभियान के दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं ने चुने हुए इलाकों में मिलन समारोह आयोजित किए और बिहार से बाहर रहने वाले बिहारियों से संपर्क किया था। इन आयोजनों के दौरान अप्रवासी बिहारियों के फोन नंबर और उनके मूल स्थान के साथ विधानसभा क्षेत्र से जुड़े डेटा लिए गए। सूत्रों के अनुसार, इकट्ठा किए गए डेटा को प्रोसेस किया जा रहा है। अगस्त तक इसे एक ऐप पर अपलोड कर दिया जाएगा। अगला कदम यह होगा कि बाहर रहने वाले बिहारियों को फोन करके यह पता किया जाएगा कि वे वोट डालने बिहार जाएंगे या नहीं।

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