न्यूनतम वेतन पूनरीक्षण की मांग को लेकर सीटू ने मुख्यमंत्री के नाम सोपा ज्ञापन

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24 अगस्त को न्यूनतम वेतन का तत्काल पुनरीक्षण कर एरियर भुगतान सहित 6 मांगों का ज्ञापन सेन्टर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) ने मुख्यमंत्री के नाम श्रम अधिकारी को सोपा है । ज्ञापन में बताया की न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 की धारा 2 के अनुसार राज्य सरकारों को प्रत्येक 5 वर्ष के अंतराल से न्यूनतम वेतन की दरों का पुनरीक्षण करना चाहिए। म०प्र०सरकार ने अधिसूचित नियोजनों के औद्योगिक मजदूरों व बीडी क्षेत्र का पिछले न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण वर्ष 2014 में किया था। पिछले वेतन पुनरीक्षण के बाद लगभग 9 वर्ष हो गये हैं, लेकिन म०प्र०सरकार ने धानिक रूप से किया जाने वाला न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण अब तक नहीं किया है।
ज्ञापन में यह भी बताया की पिछले वर्षों में कोरोना के दौरान लाखों श्रमिकों की आजीविका पर तो हमला हुआ ही है, ऊपर से डीजल, पेट्रोल, रसाई गैस की कीमतों में सरकार द्वारा की गई भारी मूल्यवृद्धि तथा सभी जरूरी चीजों का आसमान छूती कीमतों ने आम मेहनतकशों का जीवन तबाह कर दिया है। ऐसे हालात में म०प्र०सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन का पुनरीक्षण न कर मजदूरों की लूट के जरिये नियोजकों की तिजोरियां भरने का इंतजाम कर दिया है।
न्यूनतम वेतन का निर्धारण 8 घंटे के कार्य दिवस के आधार पर होता है, न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत दावा व अन्य विक्रय संवर्धन नियोजन को अधिसूचित नियोजन में शामिल कर वर्ष 2014 में ही न्यूनतम वेतन दरें तो घोषित कर दी थी लेकिन इनके 8 घंटे के कार्यदिवस का निर्धारण नहीं हुआ है। प्रदेश के जिन अधिसूचित नियोजनों में 8 घंटे के कार्यदिवस का निर्धारण किया है, वहां भी 12-12 घंटे काम लिया जा रहा है और अतिरिक्त कार्य का नियमानुसार भुगतान नहीं होता। ऐसे में वैधानिक रूप से देय न्यूनतम वेतन का प्रदेश भर में भुगतान सुनिश्चित नहीं होता है।

अन्य योजना कर्मियों के नियोजन तो अधिसूचित नियोजना में शामिल नहीं किया गया है। कृषि उपज मंडियों के हम्माल, पल्लेदार तुलावटी, ट्रांसपोर्ट सेक्टर में आगनबाडी आशा आशा सहयोगी, मायान्ह भोजन कर्मियों सहित कार्यरत ड्राईवर कलक्टर हेल्पर किसी न किसी रूप में न्यूनतम वेतन के हकदार परंतु उन्हें यह मिलता ही नहीं है। तमाम असंगठित क्षेत्र ऐसे है जहां श्रमिकों को न्यूनतम वेतन मिलता ही नहीं है।
ये है मांग
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस में मांग किया कि न्यूनतम वेतन का तुरंत पुनरीक्षण कर बेलगाम महंगाई को दृष्टिगत रखते हुए अकुशल श्रेणी का 26,000/- रूपए तथा इसी को आधार बनाकर अर्धकुशल, कुशल व अतिकुशल श्रेणी की न्यूनतम वेतन दरों में वृद्धि कर एरियर सहित भुगतान सुनिश्चित किया जावे। महगाई के निष्प्रभावीकरण हेतु उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के प्रति बिंदु 10/- रूपए की दर से महंगाई भत्ता का प्रावधान किया जाए। अधिसूचित नियोजनो की बाध्यता समाप्त कर आशा, आशा सहयोगी, हम्माल पल्लेदार तुलावटी, ड्राईवर कंडेक्टर, हेल्पर, निर्माण श्रमिक सहित सभी असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को न्यूनतम वेतन की परिधि में लाकर न्यूनतम वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जाए। प्रदेश में बीएचईएल एनटीपीसी, पावर ग्रिड सहित कई प्रतिष्ठित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम है, जहां बड़ी संख्या में ठेका मजदूर कार्यरत है। इन सभी प्रतिष्ठानों में कोल इंडिया में गठित हाई पावर कमेटी की अनुशंसा पर दिए जा रहे न्यूनतम वेतन के समतुल्य न्यूनतम वेतन का भुगतान किया जाए। प्रदेश में निजी क्षेत्र में कई ऐसे उद्योग हैं, जहां न सिर्फ उच्च गुणवत्ता का उत्पादन होता है, बल्कि यह उद्योग भारी मुनाफा कमाते हैं, इन सभी (उद्योगों के लिए सरकार पृथक से न्यूनतम वेतन का निर्धारण कर उसे लागू करे। दवा एवं अन्य विक्रय संवर्धन में लगे कर्मियों के लिए 8 घंटे के कार्यदिवस का वैधानिक निर्धारण कर उन्हें उनके लिए घोषित न्यूनतम वेतन का लाभ सुनिश्चित किया जाए। जिन नियोजनों में न्यूनतम वेतन लागू है, वहां 8 घंटे कार्यदिवस पर आधारित न्यूनतम वेतन भुगतान सुनिश्चित कर अतिरिक्त काम हेतु नियमानुसार दोगुनी दर से भुगतान सुनिश्चित किया जाए।

प्रदेश की सरकार द्वारा 9 साल होने के बाद भी वेतन पुनरीक्षण नहीं किया है= वाय आर बिसेन
सीटू जिला अध्यक्ष कामरेड वाय आर बिसेन ने बताया की न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 की धारा 2 के अनुसार राज्य सरकारों को प्रत्येक 5 वर्ष के अंतराल में न्यूनतम वेतन की दरो का पुनरीक्षण करना चाहिए लेकिन मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा 9 साल होने के बाद भी अभी तक न्यूनतम वेतन का पुनरीक्षण नहीं किया गया है। और 8 घंटे काम की जगह 12 घंटे काम लिया जा रहा है और 8 घंटे काम का वेतन दिया जा रहा है शेष समय का वेतन नहीं दिया जाता। इसलिए 22 अगस्त से 26 अगस्त तक पूरे प्रदेश में सीटू यूनियन द्वारा वेतन पुनरीक्षण के लिए ज्ञापन सोपा जाएगा।

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