पदोन्नति के फॉर्मूले की सुगबुगाहट

0

प्रदेश में एक बार फिर पदोन्नति के फॉर्मूले को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। मंत्रालय में पदस्थ कुछ अधिकारी चाहते हैं कि पांच साल से चले आ रहे इस मामले का अब हल निकलना चाहिए। पिछली शिवराज सरकार में इसके लिए अनारक्षित और आरक्षित वर्ग के बीच आमराय बनाने की कोशिश भी हुई थी, पर कोई रास्ता नहीं निकला और सत्ता परिवर्तन हो गया। कमल नाथ सरकार में प्रयास तो हुए, पर उनमें गंभीरता नहीं थी। यही वजह है कि प्रकरण जहां के तहां है। इसकी वजह से हजारों कर्मचारी बिना पदोन्नत हुए सेवानिवृत्त हो गए। इसे देखते हुए शिवराज सरकार में एक बार फिर प्रयास तेज हुए हैं। कोरोनाकाल में अधिकारियों ने पदोन्नति का फॉर्मूला भी तैयार कर लिया है, पर इसमें भी आरक्षण के साथ पदोन्नति की बात की जा रही है। हालांकि, पुराने अनुभव को देखते हुए इसे मान्यता मिलेगी, इसमें सबको संदेह ही है।

साहब की चलेगी या फिर…कोरोनाकाल में सबसे ज्यादा काम स्वास्थ्य विभाग के पास रहा। जिस तरह से तीसरी लहर की चर्चा है, उसमें भी सर्वाधिक भूमिका इसकी रहने वाली है। लिहाजा, यहां मानव संसाधन की जरूरत भी होगी। इसकी पूर्ति के लिए प्रयास भी चल रहे हैं और इसमें अपनों के लिए जुगाड़ भी तलाशी जा रही हैं। कुछ सेवानिवृत्ति के बाद अपनों को सुरक्षित ठिकाना दिलाना चाहते हैं, तो कुछ शुभ-लाभ की तलाश में हैं। ऐसे ही एक पद के लिए पिछले दिनों विज्ञापन निकला। एक इंजीनियर ने वरिष्ठ मंत्री से अपने लिए सिफारिश भी करा ली। वहीं, अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी ने भी धीरे से एक नाम आगे बढ़ा दिया। इससे संबंधित कार्यालय के अधिकारी धर्मसंकट में फंस गए हैं क्योंकि मंत्री की मानते हैं तो अफसर नाराज हो जाएंगे और अफसर की मानी तो मंत्री। हालत अब एक तरफ कुआं दूसरी तरफ खाई वाली हो गई है।

बोतल से बाहर निकले जिन्न से बेचैनीकमल नाथ सरकार के समय सुर्खियों में आए हनीट्रैप मामले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल आया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने जो तार छेड़ा, जिसकी धमक सियासी क्षेत्र के साथ-साथ प्रशासनिक गलियारे में भी सुनी जा रही है। वे अधिकारी जो मामले की ठंडा पड़ने से राहत की सांस लेकर अपने-अपने कामों में जुट गए थे, फिर बेचैन नजर आने लगे हैं। दरअसल, जब से हनीट्रैप का मामला सामने आया है, तब से कई अधिकारियों पर तलवार लटकी हुई है। इनमें से एक वरिष्ठ अधिकारी तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं, पर जब से मामला फिर से उछला है, नियमित तौर पर शुभचिंतकों से संवाद होने लगा है। दरअसल, शुरुआत से चर्चा यही है कि हनीट्रैप मामले में नेताओं से ज्यादा नाम अधिकारियों के हैं। यही वजह है कि मामले को ठंडा करने के लिए पक्ष-विपक्ष को अपने संबंधों की याद दिलाई जा रही है।

भविष्य की संभावना पर पदस्थापनाप्रदेश के निर्माण विभागों में प्रभार की परंपरा कोई नहीं बात नहीं है। लोक निर्माण विभाग में तो मुख्यालय से लेकर अधिकांश मैदानी पदों पर प्रभारी ही तैनात हैं। इतना ही नहीं, यही एकमात्र विभाग ऐसा है जो भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए भी प्रभारी व्यवस्था बनाकर चलता है। सबको पता है कि जब भी पदोन्नतियां होंगी तो नरेंद्र कुमार मुख्य अभियंता से प्रमुख अभियंता पद पर पदोन्नत हो जाएंगे। यही वजह है कि तीन-तीन प्रमुख अभियंता होने के बाद भी उन्हें उस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जहां प्रमुख अभियंता के समकक्ष इंजीनियर को ही पदस्थ किया जाता रहा है। हालांकि यह क्यों किया गया, इसकी वजह का खुलासा तो नहीं हुआ है, पर इतना तय है कि सरकार पहले के दो प्रमुख अभियंताओं को अब मुख्यधारा में लाने के पक्ष में बिलकुल भी नहीं है। इनमें से एक तो कमल नाथ सरकार में काफी सुर्खियां भी बटोर चुके हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here