किसानों को उसकी उपज का वाज़िब दाम दिलाने और उसे बिचौलियों व दलालों से बचाने के लिए जिले में 29 नवम्बर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का कार्य 193 खरीदी केंद्रों में किया जा रहा है, लेकिन इन केंद्रों में पहुंचकर किसान जहां अपनी उपज बेचने के लिए परेशान हो रहे है तो वहीं उपज का विक्रय न हो पाने की स्थिति में उसे खुले आसमान के नीचे कड़ाके की ठंड में उपज की रखवाली भी करने मजबूर होना पड़ रहा है, दरअसल खरीदी गई धान की उपज का परिवहन न हो पाने से ऐसे हालात निर्मित हो गए है।उधर मौसम विभाग की चेतावनी के अनुरूप रविवार और सोमवार को जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हल्की से मध्य गति की बारिश देखी गई जिसके चलते जिले के विभिन्न धान खरीदी केंद्रों में पूर्व से खरीद कर रखी गई धान भीग गई तो कुछ किसान और केंद्र प्रभारी धान को पन्नी बोरे ढकते हुए नजर आए ।फिर भी बारिश की बौछार से वे अपनी धान ठीक से नहीं बचा सके। बताया जा रहा है कि हल्की बारिश होने से धान में नमी आ गई है वही परिवहन ना होने के चलते धान खरीदी केंद्रों के प्रभारियों और धान बेचने केंद्रों पर पहुंचने वाले किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।वही कईं केंद्रों में अब तक एक बार भी धान का परिवहन नही किया गया है जिससे खरीदी गई धान में अंकुर निकल आए है तो वही धान बिक्री को लेकर महज 4 दिन शेष है बावजूद इसके भी अब तक आधे किसान भी अपनी धान समर्थन मूल्य पर नही बेच पाए है।वही कई किसान अब भी एसएमएस नही मिलने की शिकायत कर रहे है ऐसे में जहा धान खरीदी केंद्र प्रभारियों द्वारा धान के परिवहन की मांग की जा रही है तो वही किसानों द्वारा धान खरीदी की तारीखों को बढाने की मांग की गई है वही मांग पूरी ना होने पर किसानों द्वारा आंदोलन की चेतावनी दी जा रही है।
वही बात अगर धान खरीदी केंद्र माझापुर की करे तो माझापुर में 775 पंजीकृत किसान है जिसमें से महज 462 किसानों ने ही अपनी उपज समर्थन मूल्य पर बेचा है। जहां 49 हजार 954 बोरे धान की खरीदी की जा चुकी है।2करोड़ 86 लाख 32,हजार क्विंटल से अधिक धान खरीदी होने पर भी इस केंद्र से आज तक एक बोरी धान का भी परिवहन नहीं किया जिससे जहां एक ओर केंद्र में धान खरीदने तक की जगह नहीं बची हुई है तो वहीं दूसरी ओर धान को बारिश से सुरक्षित रखने में भी समिति को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वही खरीदकर डंपर की गई धान बारिश में भीग कर रही है तो वही बारिश में भीगी पुरानी धान में अब अंकुर निकल आए हैं जो धान खरीदी केंद्र प्रभारियों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं