पहले जो खुद कैंसर पीड़ित थे, वह इस असाध्य बीमारी को हराकर अब दूसरों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं। इससे जो लोग कैंसर के बारे में कुछ जानते ही नहीं थे, अब वह इस खतरनाक बीमारी को ठीक से पहचानने लगे हैं। इसी का परिणाम है कि अब ज्यादातर लोग कैंसर को छुपाने की बजाए शुरुआती लक्षण दिखते ही जरूरी जांच व इलाज करवाकर इस बीमारी से निजात भी पा रहे हैं। जिले भर में इलाज के बाद कई कैंसर पीड़ित मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं।
ददूनी निवासी बाबूसिंह जाट भी एक हैं, जो पांच साल पहले तक गले के कैंसर से पीड़ित थे। बाबूसिंह बताते हैं कि 2012 में उनके गले में कैंसर की गांठ हो गई थी, जिसकी वजह से उन्हें खाने-पीने से लेकर सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी थी। छह महीनों तक खाना नहीं खा सके, सिर्फ जूस आदि तरल पदार्थ के सहारे उन्हें मुश्किल वक्त गुजारना पड़ा। पहली बार जब उन्होंने राजस्थान के बीकानेर में जांच कराई तो डॉक्टरों ने उन्हें गंभीर कैंसर बताकर तत्काल इलाज शुरू कर दिया। बीकानेर में उनका इलाज तीन साल तक चला। कैंसर उनके गले से कहां गायब हो गया, उन्हें पता भी नहीं चला। कैंसर पर विजय पाकर बाबूसिंह ने अब दूसरों को इस जानलेवा बीमारी के प्रति जागरूक करने का काम शुरू कर दिया है। इसका लाभ क्षेत्र के कई कैंसर पीड़ित मरीजों को मिल रहा है।
10 में से सात कैंसर पीड़ित हुए स्वस्थ
जिले के सोंईकलां, ददूनी, नंदापुर, भीखापुर सहित आसपास के इलाकों में कैंसर का प्रकोप जिले भर के दूसरे इलाकों से सबसे ज्यादा है। वजह क्या है, इसका पता डॉक्टर भी नहीं लगा सके हैं। अब जब भी किसी को कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों के बारे में पता लगता है। तब वह व्यक्ति कैंसर को हरा चुके बाबूसिंह के पास पहुंचते हैं। उन्हें बाबूसिंह तत्काल इलाज कराने की सलाह देकर उन्हें बीकानेर भेज देते हैं। उनसे सलाह लेकर बीकानेर में इलाज कराने वाले 10 में से तलावडा, नयागांव, बनवाडा, खेरी, ढोंढ़पुर, आवदा और राडेप गांव निवासी 7 अन्य कैंसर पीडित इलाज के बाद स्वस्थ हो चुके हैं।
यह भी कैंसर को हराकर जी रहे सामान्य जीवन
ज्वालापुर पंचायत के पूर्व सरपंच मो. सादिक खान की पत्नी अनीसा फातिमा को ब्लड कैंसर हो गया था। उनका सात साल तक मुंबई में इलाज चला। अब वह स्वस्थ होकर सामान्य जिंदगी जी रही हैं। सोंईकलां निवासी रामकिशोर मीणा को भी मुंह का कैंसर हो गया था। अब वह भी स्वस्थ होकर सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। रामकिशोर मीणा बताते हैं कि, धुम्रपान, गुटखा, खैनी और पान मसाला कैंसर का प्रमुख कारण हो सकते हैं। इस वजह से यह लोगों को नशा और धूम्रपान से दूर रहने की सलाह देने का काम कर रहे हैं।
इनका कहना है
धूम्रपान और तंबाकू कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। स्वस्थ जीवन के लिए लोगों को धूम्रपान और तंबाकू से दूर रहना जरूरी है। इसके अलावा नियमित व्यायाम करना चाहिए और खाने में सलाद आवश्यक रूप से लेना चाहिए और किसी भी तरह की तकलीफ होने पर तत्काल चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए।