पल्स पोलियो अभियान के तहत जीरो से पांच वर्ष के बच्चों को पोलियोरोधी दवा पिलाई गई। हालांकि अभियान में कोरोना का साया रहा, पूर्व के अभियानों की तुलना में इस बार पालकों में रूचि कम देखी गई। बावजूद जिम्मेदारों ने तय लक्ष्य को पाने के लिए कवायद की। हालांकि अभियान के प्रचार-प्रसार का अभाव भी रहा। जिले में पोलियोरोधी दवा पिलाने के लिए एक हजार 75 बूथ बनाए गए थे। यहां स्वास्थ्यकर्मियों ने बच्चों को दवा पिलाई। पहले दिन जो बच्चे दवा पीने बूथ पर नहीं पहुंच सके। उन्होंने स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर दवा पिलाएंगे।
अभियान के तहत कलेक्टर दिनेश जैन ट्रामा सेंटर पहुंचे। कलेक्टर जैन और सिविल सर्जन डॉ. शुभम गुप्ता द्वारा बच्चों को पोलियो दवा की खुराक पिलाकर अभियान की शुरूआत की। अभियान का प्रथम चरण 31 जनवरी से दो फरवरी तक चलेगा। अभियान को लेकर पिछले कुछ दिनों से तैयारी की जा रही थीं। कलेक्टर जैन खुद इस पर नजर रख रहे थे। दवा पिलाने के लिए बनाए गए बूथ पर लक्षित बच्चों की संख्या के अनुसार पोलियो वैक्सीन सभी फोकल प्वाईंट पर पूर्व में ही पहुंचा दी गई थी। रविवार सुबह आठ बजे से अभियान की शुरूआत कर बच्चों को दवा पिलाई गई।
अभियान पर रही सतत निगरानी
कार्यक्रम की मॉनिटरिंग डबल्यूएचओ, राज्य, संभाग, जिला मॉनिटरिंग टीम के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारीगण द्वारा भी निरंतर सक्रिय रहे। जिला मुख्यालय से अधिकारी जिलेभर के बूथों पर दवा पिलाए जाने को लेकर जानकारी लेते रहे। कुछ बूथ पर मामूली लापरवाही सामने आई, जिन्हें दूर कराया गया। इधर, अभियान का समय पूरा होने के बाद वैक्सीन करियर व अन्य अभियान जमा कराने के लिए जिला मुख्यालय पर देर शाम तक कवायद होती रही।
दो दिन ऐसे चलेगा अभियान
अभियान के पहले जिन जो बच्चे बूथ पर दवा नहीं पी सके। अब उन्हें अभियान के दूसरे एवं तीसरे दिन यानि एक और दो फरवरी को टीम घर-घर जाकर पोलियो की खुराक पिलायेगी। इसके लिए विभिन्ना टीम बनाई गई हैं। इनमें से ट्रांजिट टीम, बस स्टैंड, रेल्वे स्टेशन, टेम्पो स्टैंड पर और मोबाइल टीम द्वारा खेत-खलिहान, निर्माणाधीन स्थलों, ईंट भट्टे, घूमक्कड प्रजाति एवं फैक्ट्रियों के अंदर जाकर कैम्पस में निवासरत परिवार के बच्चों को दवा पिलाई जाएगी।
संक्रमण के कारण देरी से आयोजन
बच्चों को पोलियोरोधी दवा पिलाने का अभियान इस बार कोरोना संक्रमण के कारण भी प्रभावित हुआ था। अब जब संक्रमण थम गया है तो अभियान शुरू किया गया है। इसमें जीरो से पांच साल के उम्र तक के बच्चों को दवा पिलाई जा रही है। जानकारी अनुसार पहले 17 जनवरी से यह अभियान शुरू होना था। किंतु कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम के कारण इसमें बदलाव किया गया। अब पल्स पोलियो अभियान के कारण कोरोना वैक्सीनेशन का काम रोका गया है।