धार्मिक कट्टरता की नींव पर पाकिस्तान का जन्म हुआ था और विभाजन के बाद पाक नेताओं के साथ-साथ सैन्य शासकों ने भी कट्टरपंथी इस्लाम की राह पकड़कर अपनी सियासी जमीन मजबूत की थी। पाकिस्तान में 5 जुलाई को ही जनरल जिया उल हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार का तख्तापलट कर सैन्य शासन स्थापित किया था। आज हम आपको Muhammad Zia-ul-Haq की क्रूरता की ऐसी दास्तां बताने वाले हैं, जो उसने प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान की महिलाओं के साथ ही बरती थी।
कट्टर इस्लामिक देश चाहता था जिया-उल हक
Muhammad Zia-ul-Haq पाकिस्तान को एक कट्टर इस्लामिक देश बनाना चाहता है। आजादी के बाद पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा कोई विलेन साबित हुआ है तो वह Muhammad Zia-ul-Haq ही था। भुट्टो ने जिया को अपना वफादार समझकर सेना प्रमुख बनाया था लेकिन उसने भुट्टो को फांसी की सजा दिलवाकर रास्ते से हटा दिया। इसके बाद पाकिस्तान में जिया का कट्टर शासन शुरू हो गया था।
दुष्कर्म के बदले दुष्कर्म की सजा
1978 से 1985 के बीच Muhammad Zia-ul-Haq ने हर ऐसा कदम उठा, जिससे पाकिस्तान को एक धर्मांध मुल्क बन सके। पाक की अदालतें शरिया कानून से चलने लगीं। जिला उल हक ने पाकिस्तान में सबसे विवादित Hudud अध्यादेश को लागू किया, जिसमें महिलाओं पर काफी सख्ती लागू कर दी गई थी। इस विवादित अध्यादेश में एक नियम यह भी था कि दुष्कर्म के बदले दुष्कर्म की सजा दी जाती थी। किसी की बहन का दुष्कर्म किया होता था और फरियादी भी आरोपी की बहन से दुष्कर्म कर सकता था।