पितृ पक्ष में लोग खरीदारी से बचते हैं। लेकिन यह बहुत कम लोगों को पता है कि इन दिनों में खरीदारी करने से पितर प्रसन्न होते हैं और धन-धान्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यह जरूर है कि ग्रंथों में इस पक्ष में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश को निषेध माना गया है।
शहर के ज्योतिषाचार्य और पुरोहित कहते हैं कि ऐसा कहीं भी उल्लेख नहीं है कि पितृ पक्ष में गाड़ी, जमीन और कपड़े नहीं खरीदे जा सकते। पितरों के साथ इस पक्ष में हमें इन भ्रांतियों का भी तर्पण करना चाहिए।
पितरों को तृप्त करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का विशेष महत्व माना जाता है। श्राद्ध के जरिये पितरों की तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है और पिंड दान व तर्पण करके उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती है।पितृ पक्ष आस्था का विषय है। जिसमें पिंड को स्थूल शरीर माना जाता है। मृत्यु उपरांत किसी व्यक्ति के तीन शोडषी मलिन, मध्यम और उत्तम मानी जाती है। जिसमें 48 पिंडों का दान उस मृत आत्मा के लिए किए जाते हैं। इसके साथ ही सपिंड श्राद्ध करके उस जीव को पितृ रूप में स्थापित किया जाता है। वर्ष में 16 दिनों के लिए पितृलोक के द्वार परमात्मा के द्वारा खोले जाते हैं। जिसमें हमारे पितृ हमारे जल, तर्पण एवं भोजन के द्वारा पुनः एक वर्ष के लिए तृप्त होते हैं और संतानों को आशीर्वाद देकर जाते हैं।