एक ओर प्रदेश सरकार द्वारा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर विकलांग बच्चों को विभिन्न योजनाओं का लाभ देकर उनकी मदद किए जाने का दावा किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर जिले में ऐसे कई विकलांग बच्चे हैं जिन पर शासन प्रशासन ने अब तक नजरें इनायत नहीं की है। ताजा मामला परसवाड़ा विधानसभा के चांगोटोला क्षेत्र अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सकरी का है। जहा एक आदिवासी परिवार विगत कई वर्षों से अपने बच्चों का पेंशन बनाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। आदिवासी परिवार के बच्चे जन्म से ही विकलांग है जिनका ना तो अब तक आधार कार्ड बन पाया है और ना ही पेंशन, और ना ही इसको लेकर पंचायत द्वारा अब तक कोई कार्यवाही की गई है।
आपको बता दें कि विगत समय में कई बार माता-पिता के द्वारा पंचायत के चक्कर लगाए गए परंतु पंचायत के द्वारा सहयोग करना तो दूर खैर खबर तक नहीं ली गई पंचायत के जिम्मेदारों ने परिवार को बुलवाया और उन्हें मार्गदर्शन तो दिया परंतु सहयोग के तौर पर किसी प्रकार से कड़े कदम नहीं उठाए गए जिसका खामियाजा विकलांग बच्चों को भुगतना पड़ रहा है सरकार बड़े-बड़े दावे करती है की आदिवासी परिवार एवं नेत्रहीन तथा विकलांग तक शासन की हर संभव मदद पहुंच पा रही है परंतु इस पंचायत में यह बच्चों का न तो आधार कार्ड बन पा रहा है और ना ही पेंशन वही जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से दूर भागते नजर आ रहे हैं।
जन्मजात से नेत्रहीन और विकलांग है मुस्कान ,तो ओम परते का भी अब तक नहीं बना पेंशन, और आधार कार्ड
प्राप्त जानकारी के अनुसार इसी गांव की 13 वर्ष की खुशबू मरकाम जन्मजात से नेत्रहीन एवं विकलांग है। जिसका ना तो आधार कार्ड बन पाया है और ना ही पेंशन की। ना ही किसी प्रकार से कोई कार्रवाई की गई। दूसरा आदिवासी बालक ओम प्रकाश परते यह भी लगभग 9 वर्ष का है जिसका ना तो आधार कार्ड है और ना ही पेंशन बन पाया है। जिससे आदिवासी माता पिता दुखी होकर शासन प्रशासन से भी आस छोड़ चुके हैं आखिर कब तक मंच एवं कागजों पर ही सरकार अपने दावे एवं योजनाएं बताती रहेगी, यह समझ से परे है ।
सही मार्गदर्शन देने की जगह भटका रहे जिम्मेदार
ग्राम पंचायत सकरी अंतर्गत आने वाला ग्राम तीनगड़ी जहां आदिवासी परिवार में निवास कर रहे, जन्मजात से विकलांग बच्चों की पंचायत के द्वारा किसी भी प्रकार से सहायता नहीं की गई। उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ नहीं दिलाया गया। विगत पंचवर्षीय में सरपंच मालती नरेश बिसेन द्वारा भी मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया गया। परिवार की माने तो सहायक सचिव के द्वारा कई बार पंचायत परिसर में बुलाया तो गया परंतु सहायक सचिव सही मार्गदर्शन देने की बजाय उन्हें भटकने को मजबूर कर दिया।
शासकीय योजना का नहीं मिल रहा लाभ _ललिता बाई मरकाम
मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान ग्रामीण ललिता बाई मरकाम ने बताया कि उनकी बेटी खुशबू 13 वर्ष की है। जब वह छोटी थी तब ,हम उसे सरकारी अस्पताल बालाघाट लेकर गए थे, तो डॉक्टरों के द्वारा विकलांग सर्टिफिकेट बना कर दिया गया था। परंतु जब विकलांग सर्टिफिकेट लेकर पंचायत में गए तो उन्होंने आधार कार्ड के बगैर पेंशन नहीं बनाने की बात कही, परंतु बच्ची का आधार कार्ड ही नहीं बन रहा है हम चाहते हैं हमारे बच्ची को शासकीय योजना का लाभ मिले और पेंशन बन जाए ताकि बच्ची का कम से कम भरण-पोषण हो सके ।
ना आधार कार्ड बन रहा, ना पेंशन_ ज्योति परते
वही मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान ग्रामीण महिला ज्योति परते ने बताया कि मेरा बेटा जन्म से ही विकलांग है जिसका ना तो पेंशन बना है और ना ही आधार कार्ड बन पा रहा है। पुराने सरपंच और सहायक सचिव अनिता के पास कई बार गए परंतु उन्होंने कहा कि अभी बच्चा छोटा है इसलिए उसका आधार कार्ड और पेंशन नहीं बन सकता बीडीसी सरपंच सभी के पास गए परंतु कुछ नहीं हुआ हम सरकार से चाहते हैं कि पेंशन बन जाए । ताकि बच्चों का लालन-पालन ठीक से हो सके।