प्रदेश शासन ने की तीसरी लहर की औपचारिक घोषणा

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कोरोना संक्रमण महामारी की तीसरी लहर की आधिकारिक घोषणा शासन द्वारा कर दी गई है लगातार कोरोना मरीजो की संख्या में वृद्धि होती जा रही है। ऐसे में प्रदेश से लेकर जिला स्तर पर मीटिंग का दौर शुरू हो चुका है, कैसे तीसरी लहर मैं स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर की जाए जिससे दूसरी लहर जैसा मंजर देखना ना पड़े।

ऑक्सीजन से लेकर अस्पताल की व्यवस्था का जब हमने रियलिटी चेक किया तो स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों और उसके द्वारा बताई जा रही जानकारी की व्यवस्थाओं की कई खामी उजागर होती दिखाई दी।

बात सबसे पहले ही जिला मुख्यालय के सबसे बड़े जिला अस्पताल की करते हैं कहने को यहां तो बड़ा आक्सीजन प्लांट लगाए मगर एक किस काम का है इस बात की जानकारी आपको दे देते हैं दरअसल तीसरे लहर की तैयारी के लिए बीते दिनों से पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के नागपुर के पास मौदा से रोजाना बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिलिंग करके बुलवाया जा रहे हैं। अब आप कहेंगे कि जब प्लांट बालाघाट जिला मुख्यालय में लगा है तो फिर नागपुर से सिलेंडर क्यों मंगवाए जा रहे हैं यह बात हमें भी समझ नहीं आ रही। जानकारी यही मिल रही है कि अपने प्लांट के लिए लगाया गया जनरेटर का खर्च इतना अधिक है उतने खर्च में बाहर से सिलेंडर मंगवाए जा रहे हैं। कोविड की तीसरी लहर की तैयारी के विषय में जब हमने जिम्मेदार अधिकारियों से चर्चा की स्वास्थ विभाग के आला अधिकारियों से ली तो उन्होंने कुछ इस तरह से जानकारी हमे दी। वे बताते हैं कि जिला मुख्यालय में कोरोना जांच करने वाले कीट की बहुत अधिक कमी है।

इसी तरह वारासिवनी अस्पताल में भी कहने को तो सभी प्रकार की व्यवस्था दुरुस्त कर ली गई है शासन के द्वारा लाखों रुपए की लागत से ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया है कोरोना में बच्चे प्रभावित होने पर 10 बेड का चिल्ड्रन कोविड सेंटर भी तैयार किया गया है। परंतु भविष्य में मरीजों के बढ़ने पर उक्त व्यवस्था संतोषजनक नहीं दिख रही है।

वारासिवनी नगर पालिका के निवर्तमान पार्षद सुनील जायसवाल ने बताया कि सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट से लेकर चिल्ड्रन वार्ड तक की जानकारी कुछ इस तरह से देते हैं।

वारासिवनी निवासी मनीष मिश्रा बताते हैं कि ओमिक्रोन नया वेरिएंट आया है और वह तेजी से फैल रहा है इसके पहले डेल्टा था उस से 4 गुना ज्यादा गति इसमें है जिसके लिए प्रशासन ने व्यवस्था करी है वारासिवनी में एक ऑक्सीजन प्लांट है कोरोना पेशेंट व बच्चों की व्यवस्था है परंतु यह अपर्याप्त है।

मनोज लिल्हारे बताते है कि वर्तमान में ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण हुआ लेकिन वह जो प्लांट है वह अस्पताल के लिए है या रिफल पॉइंट कहीं पर है क्योंकि करोड़ों रुपए की लागत से यह बनाया गया है।

तीसरी लहर को लेकर वारासिवनी बीएमओ डॉ रविंद्र ताथोड ने बताया कि अस्पताल में ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट है जिससे 40 बिस्तर पर सेंटर लाइन से जोड़ा गया है और यह प्लांट चालू है जिसमें 200 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन बनेगी कोविड सेंटर में 25 बिस्तर पर ऑक्सीजन लाइन है और बच्चों के लिए 8 बिस्तर का पृथक वार्ड है लगभग पूरी व्यवस्था है। लेकिन उनकी भी मजबूरी है और उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या-क्या इसमें खामियां है।

इसी तरह हम अब आपको लालबर्रा के हालात से रूबरू करवाते हैं। लालबर्रा नगर मुख्यालय में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में न शिशु रोग विशेषज्ञ है, न सुविधाएं है और न ही शिशु आईसीयू वार्ड के लिये भवन है। अब ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि बिना चिकित्सक, सुविधाओं के अभाव में शासन कैसे बच्चों को कोरोना की इस विकराल लहर से बचा पाता है।
यह एक चुनौती है।

कोरोना की तीसरी लहर ने लालबर्रा मुख्यालय में दस्तक दे चुकी है किन्तु स्वास्थ्य विभाग की तैयारी हवा हवाई नजर आ रही है क्योंकि पूर्व में जिस स्थान पर कोविड केयर सेंटर बनाया गया था वह वर्तमान में किसी प्रकार की तैयारी नही की गई है, मरीज आने पर कोविड़ सेन्टर शुरू करने की बात कही जा रही। कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को ज्यादा संक्रमित करने की बात कही जा रही है किन्तु लालबर्रा में बच्चों के लिए शिशु वार्ड तक नही है ऐसी स्थिति में अगर कोई बच्चा कोरोना से संक्रमित होता है तो उनका उपचार जिला चिकित्सालय में किया जायेगा। वहीं लालबर्रा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में ५२ ऑक्सीजन मशीन उपलब्ध है एवं अस्पताल में १० बैड बनाया गया है किन्तु दूसरी लहर की तरह कोरोना अपनी तबाही मचाना शुरू कर दे तो ५२ ऑक्सीजन मशीन भी कम पड़ेगी।

मतलब साफ है कि ऑक्सीजन प्लांट बने हैं जो ज्यादा काम के नहीं है दूसरी लहर पर यदि गौर फरमाया जाए तो जीने बेड मिल गया उन्हें इलाज मिल गया, जिन्हें कुछ नहीं मिला उनका क्या हाल हुआ यह सब जानते हैं। हम अब यही उम्मीद करते है कि हम और आप कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रहे, मास्क का उपयोग करे, वरना स्वास्थ्य सेवाओं के हालात आपके सामने हैं।

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