प्रधानमंत्री देश में ऑक्सीजन की उपलब्धता का रिव्यू कर रहे; इसे और बढ़ाने के लिए जरूरी उपायों पर चर्चा हो सकती है

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को देश में ऑक्सीजन के मसले पर हाई-लेवल मीटिंग कर रहे हैं। इसमें देश में ऑक्सीजन की वृद्धि और उपलब्धता का रिव्यू किया जा रहा है। इस दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता को और बढ़ाने के लिए जरूरी कदम पर भी चर्चा हो सकती है।

दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश को ऑक्सीजन की किल्लत से जूझना पड़ा था। समय पर ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से कई मरीजों की जानें गई थीं। इसके बाद से ही सरकार ने ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने के प्रयास तेज कर दिए थे।

तीसरी लहर की आशंका के बीच मीटिंग
मोदी की यह हाईलेवल मीटिंग देश में तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच हो रही है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अगस्त-सितंबर में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। ऐसे में सरकार देश में दवाओं और ऑक्सीजन जैसे जरूरी संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में जुट गई है।

महाराष्ट्र और केरल में कोरोना पर चिंता जताई
इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र और केरल में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से हम तस्वीरों और वीडियो में देख रहे हैं कि सभी लोग भीड़-भाड़ वाली जगहों पर बिना मास्क और बिना सामाजिक दूरी बनाए घूम रहे हैं। यह अच्छा नजारा नहीं है और इससे हममें डर की भावना पैदा होनी चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे समय में लापरवाही के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एक गलती के दूरगामी प्रभाव होंगे और कोरोना पर काबू पाने की लड़ाई कमजोर होगी। सभी को यह याद रखना चाहिए कि कोरोना का खतरा टला नहीं है। कई अन्य देशों में संक्रमण में वृद्धि देखी जा रही है। वायरस भी म्यूटेट कर रहा है।

बीते दिन कोरोना इमरजेंसी पैकेज का एलान किया था

  • इससे पहले मोदी कैबिनेट ने गुरुवार को कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारी के लिए नए कोरोना इमरजेंसी पैकेज का एलान किया था।
  • 23,220 करोड़ के पैकेज का फोकस बच्चों पर है। इसमें 15,000 करोड़ रुपए का योगदान केंद्र और 8000 करोड़ रुपए का योगदान राज्यों की ओर से किया जाएगा।
  • इसके तहत उन जिलों में 5000 और 2500 बेड वाले फील्ड अस्पताल बनाने का भी प्रावधान है, जिनमें कोरोना मामले ज्यादा आ रहे हों। पैकेज की एक बड़ी बात ये है कि देश के हर जिला अस्पताल में 10,000 लीटर ऑक्सीजन स्टोरेज की क्षमता विकसित की जाएगी।

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