पद्मश्री अवार्ड के लिए चयनित मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले के वनग्राम धुरकुटा निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक अर्जुन सिंह का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात में किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्जुन सिंह ने बैगा आदिवासी नृत्य को पहचान दिलाने के लिए महत्वपूर्ण पहल की। साधारण परिस्थितियों में असाधारण काम करने के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इस पर अर्जुन सिंह ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें न तो पद्मश्री अवार्ड मिलने की उम्मीद थी और न ही प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात में उनका नाम लेने की। वे बहुत खुश हैं। प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात में अपने नाम के जिक्र को धुर्वे ने जीवनभर कभी न भूल पाने वाली उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि अब जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। मंचों के साथ वे गांव-गांव जाकर लोगों को नृत्य सिखाने का काम करेंगे।
पद्मश्री के लिए नाम की घोषणा के बाद से ही उनसे मिलने वालों का सिलसिला जारी है। ‘नईदुनिया’ से चर्चा में उन्होंने बताया कि वे शुरू से ही परंपरागत बैगा आदिवासी नृत्य करते थे। वर्ष 1982 में सांस्कृतिक केंद्रों में प्रस्तुतियां देना शुरू किया। नई दिल्ली में 1982 में गणतंत्र दिवस पर पहली बार प्रस्तुति दी थी। इसके बाद वर्ष 1987 और वर्ष 2005 में भी शामिल हुए।
अर्जुन सिंह ने बताया कि वर्ष 1976 में सहायक शिक्षक के पद पर बजाग जनपद के ग्राम चांडा में पदस्थ हुए थे। उसके बाद हाई स्कूल धुरकुटा में प्राचार्य की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। उन्होंने बताया कि वे समय निकालकर रात में और अवकाश के दिनों में भी कलाकारों के साथ नृत्य करते हैं। धुर्वे क्षेत्र के लोगों को लगातार परंपरागत आदिवासी बैगा नृत्य के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं।