फीस घोटाला को दबाने में लगे अधिकारी-शिक्षक, सात दिन से कमेटी की नहीं हुई बैठक

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माता जीजाबाई गवर्नमेंट गर्ल्स डिग्री कालेज (ओल्ड जीडीसी) में फीस घोटाले की चल रही जांच में कुछ पुराने मामलों की परतें खुलने लगी है, जिसमें ओर भी आर्थिक अनियमितता उजागर हो सकती है। इसे लेकर कालेज परिसर में हड़कंप मच हुआ है। कई कर्मचारी, अधिकारी-शिक्षक की नींद उड़ गई है। वे अब घोटाले की जांच बंद या फिर दबाने में लगे है। यही वजह है कि सात दिन से कमेटी की बैठक नहीं हुई है। कालेज प्रबंधन छुट्टियों का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहा है। वहीं कुछ सदस्य बीमार बताए जा रहे हैं।

सत्र 2020-21 में प्रवेश प्रक्रिया के तहत कनिष्का आर्य को पीजी कोर्स में दाखिला दिया। सर्वर डाउन का बताकर कर्मचारी अतुल गौड़ ने फीस की राशि छात्रा से ली। मगर रसीद महीनों बाद दी। जुलाई में रिजल्ट नहीं आने पर छात्रा के पिता ने हंगामा किया। तब सामने आया कि जो रसीद दी गई दरअसल वह फर्जी है। इसके बाद जूनी इंदौर थाने और कालेज में शिकायत हुई। तत्कालीन प्राचार्या डा. सुमित्रा वास्केल ने जांच करवाई। तब सामने आया कि 12 छात्राओं की फीस वसूलकर फर्जी रसीद थमाई गई है। कार्रवाई के डर से अतुल ने 71 हजार 200 रुपये जमा करवा दिए। कालेज प्रबंधन ने यह नहीं पूछा कि किस छात्रा के कितनी फीस है। राशि लेकर मामला दबा दिया।

सूत्रों के मुताबिक घाटाले में एक ओर कर्मचारी का नाम सामने आ चुका है। सितंबर में प्राचार्या डा. श्री द्विवेदी ने जांच के लिए थाने को पत्र लिखा। नईदुनिया में खबर प्रकाशित होने के बाद कालेज ने जांच शुरू की, लेकिन दस दिन बीतने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक अब शिकायतकर्ता कनिष्का आर्य पर दवाब बनाया जा रहा है। छात्रा अब अपनी शिकायत वापस लेना चाहती है। वहीं जांच कमेटी के सदस्य भी घोटाले को गंभीरता से नहीं ले रहे है।

तीन प्रोफेसर और दो अन्य कर्मचारी की भूमिका सामने आ चुकी है, जो पुरानी छात्रवृत्ति, परीक्षा और प्रवेश से जुड़ी गड़बड़ियों में शामिल है। प्राचार्या डा. श्री द्विवेदी के मुताबिक जांच अभी पूरी नहीं हुई है। सदस्यों के रिपोर्ट देते ही पुलिस को सौंपी जाएगी।

नहीं दी सूचना

फीस घोटाले के बारे में कई लापरवाही सामने आ चुकी है। भले ही इसे लेकर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत हो चुकी है। मगर कालेज अपनी तरफ से कुछ भी जानकारी उच्च शिक्षा विभाग को नहीं दे रहा है। उधर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को मामला पता होने के बावजूद कालेज को नोटिस नहीं थमा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक प्रशासनिक अधिकारी व जनभागीदारी समिति के सदस्य मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। उनके कहने पर विभाग कमेटी बना सकता है, लेकिन अतिरिक्त संचालक कार्यालय से अभी इसे लेकर कोई संकेत नहीं मिले है। जबकि मुख्यालय में हलचल तेज हो चुकी है।

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