ठंड के तेवर न सिर्फ लोगों को परेशान बल्कि बीमार भी कर रहे हैं। इन दिनों जिला अस्पताल में मौसम बीमारी का असर साफ देखा जा सकता है। बड़े-बुजुर्गांे के अलावा मौजूदा मौसम का असर बच्चों पर भी देखा जा सकता है, जो निमोनिया, विंटर डायरिया, इनफेक्शन, वायरल बुखार का शिकार हो रहे हैं। जिला अस्पताल में रोज औसतन 5 बच्चे इन बीमारियों से पीडि़त होकर भर्ती हो रहे हैं। सबसे ज्यादा असर छह से आठ महीने के बच्चों को हो रहा है। इसके अलावा 10 से 15 साल की उम्र के बच्चों द्वारा तनाव में आकर जहर खाने के बढ़ते मामले भी चिंता का कारण बन रहे हैं।
यूं तो जिला अस्पताल के शिशु वार्ड में अक्सर मरीजों की भीड़ रहती है, लेकिन खासकर ठंड के इस मौसम में बच्चों की संख्या बढ़ गई है। शिशु रोग विशेषज्ञ और एसएनसीयू प्रभारी डॉ. निलय जैन के मुताबिक, पिछले एक-दो महीने से सबसे ज्यादा बच्चों में निमोनिया के मामले सबसे अधिक देखने मिल रहे हैं, जिसमें बच्चों की श्वास नली सिकुड़ जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। इससे खांसी आती है और कई बार बच्चा खांसते वक्त बेदम भी हो जाता है। ये बीमारी नवजात बच्चे से लेकर 5 साल की उम्र के बच्चे को हो रही है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर 6 से 8 महीने के बच्चों में देखने मिल रहा है। इसके अलावा विंटर डायरिया यानी उल्टी-दस्त के मामले भी बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों ने मौसम में आए बदलाव को देखते हुए बच्चों की उचित देखभाल करने की सलाह दी है।