बजट को शिक्षाविदों ने सराहा, बोले- शालेय शिक्षा के उन्‍नयन में मिलेगी मदद

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 प्रदेश के वित्‍त मंत्री जगदीश देवड़ा ने आज विधानसभा में 2022-23 का बजट पेश किया। इस बजट को लेकर विभिन्‍न हलकों से तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। जहां तक शिक्षा की बात है तो इस बजट को ज्‍यादातर शिक्षाविदों ने सराहनीय बताया है। शिक्षाविदों का मानना है कि स्कूल शिक्षा विभाग के लिए बजट में दिए गए प्राविधान से विद्यार्थियों को मजबूती मिलेगी। प्रदेश की शिक्षा व्‍यवस्‍था को सुदृढ़ करने के लिए राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को ध्‍यान में रखते हुए आवश्यक व्‍यवस्‍थाएं सुनिश्चित की गई हैं। स्‍कूल शिक्षा विभाग के लिए वर्ष 2021-22 का बजट अनुमान 25 हजार 953 करोड़ है, जिसे बढ़ाकर वर्ष 2022-23 के लिए 27 हजार 792 करोड़ का प्रविधान प्रस्तावित किया गया है। यानी इस साल स्कूली शिक्षा के लिए करीब दो करोड़ रुपये अधिक प्रस्तावित किए गए हैं। इससे स्कूली शिक्षा के उन्‍नयन में मदद मिलेगी।

बजट के मुताबिक सीएम राइज योजना के तहत प्रथम चरण में 360 स्कूल प्रारंभ किए जाएंगे। इन विद्यालयों के लिए 7 हजार करोड़ रुपये से अधिक होना तय किया गया है। इन विद्यालयों में सभी मूलभूत सुविधाएं, पर्याप्त शैक्षणिक अमला, खेल-कूद और ललित कलाओं में प्रशिक्षण की व्यवस्था और विद्यार्थियों को विद्यालय तक आने-जाने के लिये परिवहन सुविधा आदि उपलब्ध कराई जाएंगी। इस बजट में 1 हजार 157 करोड़ का प्राविधान प्रस्‍तावित है।

प्रदेश के सरकारी स्‍कूलों में संगीत और नृत्‍य की कलाओं को बच्‍चों की शिक्षा का भाग बनाते हुए उन्‍हें समग्र शिक्षा प्रदान करने के लिए एक नयी योजना ”अनुगूंज – कलाओं से समृद्ध शिक्षा” प्रारंभ की जा रही है। राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार सन 2030 तक युवा एवं प्रौढ़ साक्षरता दर को 100 फीसद पहुंचाने का लक्ष्‍य है। इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए प्रदेश के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के असाक्षर व्‍यक्तियों की निरक्षरता उन्‍मूलन के लिए नव भारत साक्षरता कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।

शिक्षाविद डीएस राय ने कहा कि प्रतिभाशाली बच्‍चों को सही मार्गदर्शन एवं मूलभूत आवश्‍यकताएं उपलब्‍ध कराने, अकादमिक तथा अन्‍य कौशलों के विकास के माध्‍यम से राष्‍ट्र निर्माण में योगदान तथा स्‍वाबलंबी बनाने के लिए प्रखर योजना प्रस्‍तावित है। सामाजिक समरसता की भावना विद्यार्थी जीवन से ही विकसित किए जाने की आवश्‍यकता है। अत: वर्ग, वर्ण, जाति, धर्म, सामाजिक असमानता आदि का भेद मिटाने के उद्देश्य से समरसता छात्रावासों का निर्माण किया जाना प्रस्‍तावित है, जहां सभी समाज के विद्यार्थी एक ही छात्रावास में मिलजुल कर साथ-साथ रहें। बजट में इस प्रयोजन के लिए 50 करोड़ का प्रविधान किया गया है।

बजट में स्‍कूल शिक्षा विभाग के लिए कहां, कितनी राशि का प्रविधान-सरकारी प्राथमिक शालाओं की स्थापना हेतु 10 हजार 345 करोड़ रुपये।- माध्यमिक स्कूलों के लिए 6 हजार 212 करोड़ रुपये।- समग्र शिक्षा अभियान के लिए 3 हजार 908 करोड़ रुपये।

शासकीय हाई/हायर सेकंडरी स्कूलों के लिए 3 हजार 160 करोड़ रुपये।- सीएम राइज योजना के लिए 855 करोड़ रुपये।- विभागीय परिसंपत्तियों का संधारण के लिए 457 करोड़ रुपये।-आरटीई के तहत अशासकीय विद्यालयों को ट्यूशन फीस की प्रतिपूर्ति के लिए 400 करोड़ रुपये।- अतिथि शिक्षकों के मानदेय के लिए 350 करोड़ रुपये।- पंचायती राज संस्थाओं के अध्यापक और संविदा शाला शिक्षकों को वेतन/मानदेय के लिए 310 करोड़ रुपये।- शासकीय स्कूल/छात्रावास/पुस्तकालय/आवासीय खेलकूद भवनों के निर्माण एवं विस्तार के लिए 253 करोड़ रुपये।- अशासकीय शालाओं को अनुदान के लिए 200 करोड़ रुपये।- शिक्षा उपकर से ग्रामीण शालाओं का उन्नयन एवं संधारण हेतु 166 करोड़ रुपये।- निःशुल्क पाठ्य सामग्री का प्रदाय हेतु 109 करोड़ रुपये।- हाइ/हायर सेकंडरी स्कूलों में पढ़ने-लिखने की बैठक व्यवस्था एवं प्रयोगशाला के लिए 100 करोड़ रुपये।

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