बड़ा निराला है माँ त्रिपुरसुंदरी का इतिहास

0

नवरात्रि के अवसर पर हैं आप को शहर के ऐसे मंदिर के विषय में जानकारी देने जा रहे हैं जिसे सुनकर शायद आप भी आश्चर्य से चकित हो जाए। यह मंदिर हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्म की समरसता का प्रतीक है। मनोकामना मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। छोटे बड़े के साथ-साथ चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने वाले हर जनप्रतिनिधि यहां पर हाजिरी लगाने जरूर आते हैं।

शहर के जय स्तंभ चौक स्थित मध्य प्रदेश राज्य परिवहन डिपो के प्रवेश द्वार पर बने मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर का इतिहास ही ऐसा कुछ निराला है। वर्ष 1992 में मध्य प्रदेश राज्य परिवहन विभाग में कार्यरत कर्मचारियों ने मिलकर मंदिर की स्थापना की इस दौरान परिवहन विभाग में कार्यरत सभी धर्म के लोगों ने धार्मिक एकता की मिसाल पेश करते हुए इस मंदिर के निर्माण में सहयोग दिया।

मां त्रिपुर सुंदरी ने अपने दरबार में पहुंचने वाले हर छोटे और बड़े भक्तों की मनोकामना पूरी की धीरे-धीरे इसका यश और प्रसिद्धि जिले के साथ-साथ दूसरे राज्यों में फैलने लगी। जनप्रतिनिधियों ने तो यहां तक बात अपने जहन में बसा ली जो इस दरबार में अपनी हाजिरी नहीं लगाएगा वह चुनाव की बैतरणी पार नहीं कर पाएगा। तभी तो चुनाव छोटा हो या बड़ा। नामांकन फॉर्म भरने से पहले या हर कोई हाजिरी लगाने जरूर पहुंचता है।

नामांकन फार्म भरने वाले जनप्रतिनिधियों का अनुसरण करते-करते जिले में मनोनीत समितियां और संगठन बनाने वाले भी इस दरबार से होकर ही अपने कार्य के लिए मां का आशीर्वाद लेकर जाते हैं।

मां त्रिपुर सुंदरी का इतना यश और मनोकामना पूर्ति को देखते हुए आज भक्त यहां वर्ष वर्षों से पूजा अर्चना करने के लिए पहुंच रहे हैं।

किसी ने सच ही कहा है कि मां के दरबार में कोई छोटा और बड़ा नहीं होता इसीलिए तो त्रिपुर सुंदरी मंदिर में हर वर्ग का व्यक्ति अपनी परेशानी और अपनी दुख दर्द को दूर करने के लिए मां के दरबार में पहुंच जाता है। यह सिलसिला वर्षो वर्ष से जारी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here