जिला मुख्यालय सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में मंगलवार 27 फरवरी को महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद बलिदान दिवस पर जगह जगह श्रद्धांजलि अर्पित की गई .जहां जगह-जगह विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन कर महान स्वतंत्र सेनानियों के छायाचित्र और प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनकी शहादत को याद किया गया.तो वहीं उनकी जीवनी का बखान कर उनकी जीवनी से प्रेरणा लेने और उनके आदर्शों को आत्मसात कर उनके बताए हुए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया। इसी कड़ी में महान क्रांतिकारी अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की शहादत दिवस पर क्रांतिकारी नेता पूर्व सांसद कंकर मुंजारे और उनके साथियों द्वारा बालाघाट हनुमान चौक स्थित अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई जिसमें पूर्व सांसद कंकर मुंजारे, ने उनकी जीवनी व शहादत का बखान कर देश के युवाओं को उनके विचारों पर चलने,देश की आजादी के लिए उनके दिए बलिदान से प्रेरणा लेने का संदेश दिया।इस दौरान राजा लिल्हारे, जुनैद खान, सामाजिक कार्यकर्ता इमरान खान, रूपलाल कुतराहे ,सहजलाल पटेल, राजकुमार सांडिल्य ,विनोद पांडव, रवि कूठे, गुदध धमड़े, अमित शर्मा ,आदिल शेख ,राजा सरफराज खान, एजाज खान, जनक महाजन, रामलाल नागपुरे, राजू उइके, दीपेश रनगिरे, कन्हैया संचेती, हेमराज नागपुरे, रमेश दीक्षित, राजेंद्र लिल्हारे सहित अन्य प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
महान क्रांतिकारी के नक्शे कदम पर चले युवा- कंकर
बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने बताया कि आज के दिन महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का बलिदान हुआ था। इलाहाबाद के एक गार्डन में वे अपने साथियों के साथ देश को आजाद करने को लेकर चर्चा कर रहे थे। उसी समय किसी मुखबिर ने उनकी मुखबरी कर दी। जिस पर अंग्रेजों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया और वहां गोलीबारी हुई जहां चंद्रशेखर आजाद ने भी तीन-चार अंग्रेजो को मौत के घाट उतार दिया। इस मुठभेड़ में उनके पांव में भी गोली लगी थी वे आखिरी समय तक अंग्रेजों से लड़ते रहे। बाद में जब उनकी पिस्तौल में एक गोली बची तो उन्होंने उसे अपने लिए रख लिया उन्होंने कसम खाई थी कि वह जिंदा रहते अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे। इसीलिए उन्होंने आखिरी गोली से अपने आप को सूट कर लिया और शहीद हो गए ।उनके देह के पास जाने में भी अंग्रेज डर रहे थे वे बहुत बड़ी क्रांतिकारी थे जिनके निर्देशन में बहुत सारे क्रांतिकारी काम करते थे।वे देश के लिए कुर्बान हुए तब कहीं जाकर देश आजाद हुआ है उनकी इस कुर्बानी उनके बलिदान से युवाओं ने सबक लेना चाहिए उनकी जीवनी को आत्मसात करना चाहिए और उनके बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।