(उमेश बागरेचा)
बालाघाट ( पद्मेश न्यूज)। नगर पालिका परिषद बालाघाट में अध्यक्ष , उपाध्यक्ष पद के लिए निर्वाचन की प्रक्रिया आगामी 7 अगस्त को संपन्न होना है । इस हेतु अब मात्र एक सप्ताह का समय शेष रह गया है। अभी तक कांग्रेस तथा भाजपा ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। 33 पार्षदों की संख्या वाली इस नगरपालिका में 18 पार्षदों के साथ भाजपा बहुमत में है, कांग्रेस के पास मात्र 11 पार्षद हैं अर्थात बहुमत के लिए उसे 6 पार्षदों की आवश्यकता है, जो उसके पास नहीं है। निर्दलीय 4 पार्षद हैं जिनमें से एक भाजपा की शरण में चला गया है, ऐसी स्थिति में भाजपा के पास अब कुल 19 पार्षद हो गए हैं, जो बहुमत की संख्या से 2 ज्यादा है। अब शेष बचे 3 निर्दलीय, कांग्रेस को समर्थन दे भी दें तो उसके 11+3=14 ही होते हैं, बहुमत के लिए 3 पार्षद और चाहिए, इसके लिए कांग्रेस को भाजपा के असंतुष्ट पार्षदों की शरण में जाना होगा। अब यहां जो कहानी बनती दिख रही है, वह कुछ कुछ जिला पंचायत में अध्यक्ष के चुनाव की मिलती जुलती स्क्रिप्ट की तरह दिखाई दे रही है, बस जिला पंचायत की भाजपा के स्थान पर कांग्रेस खड़ी है। वहां कांग्रेस का अध्यक्ष बनना तय था, यहां भाजपा का अध्यक्ष बनना तय है। जिस तरह जिला पंचायत में भाजपा के दावेदारों का उल्लेख नहीं होता था, उसी तरह आज नगरपालिका में कांग्रेस में अध्यक्ष के नाम का उल्लेख नहीं हो रहा है। जिला पंचायत में कांग्रेस के पास एक से ज्यादा उम्मीदवार थे, इसलिए आखिरी वक्त तक अधिकृत प्रत्याशी को लेकर संघर्ष चला, यही कहानी भाजपा में नगर पालिका अध्यक्ष के लिए दोहराई जाने वाली है। यहां भी आखिरी वक्त तक अध्यक्ष पद के प्रत्याशी को लेकर संघर्ष होने की संभावना है। चूंकि भाजपा में एक से अधिक अध्यक्ष पद के दावेदार हैं इसलिए यहां भाजपा कांग्रेस दोनो में ही क्रॉस वोटिंग होना लगभग तय है, बावजूद इसके अध्यक्ष तो भाजपा का ही होगा । वर्तमान में कांग्रेस भाजपा दोनों ही दलों के जो दावेदार हैं वे एक-दूसरे के दल में संभावनाएं तलाश रहे हैं, बकायदा संपर्क भी कर रहे हैं। भाजपा में जितने भी दावेदार हैं उनमें से एक भी आश्वस्त नहीं है कि वो ही पार्टी का घोषित प्रत्याशी होगा, इसलिए बहुमत में होने के बावजूद भी भाजपा के सभी दावेदार निर्दलियों एवं कांग्रेसी पार्षदों से गलबहियां करने में पीछे नहीं है। वही दूसरी ओर कांग्रेस भी भाजपा के दावेदारों की इस मन:स्थिति को भांपते हुए, निर्दलियों एवं भाजपा के असंतुष्टों को तलाश रही है । जिला पंचायत के चुनाव की एक समानता में यहां कांग्रेस, फिसड्डी साबित होगी। जिला पंचायत में जहां कांग्रेस के प्रत्याशी, सदस्यों को मैनेज करने में सक्षम थे तथा भाजपा संगठन भी प्रत्याशियों को मैनेज करने में सक्षम था, इसके विपरित नगरपालिका के चुनाव में ना तो कांग्रेस संगठन पार्षदों को मैनेज करने की स्थिति में है और ना ही उसका कोई संभावित दावेदार ही पार्षदों को मैनेज करने की स्थिति में है, जबकि भाजपा में पार्टी भी मैनेज करने की स्थिति में है और सभी दावेदार भी मैनेज करने की स्थिति में है। वर्तमान में दो दावेदारों ने, अभी से मिठाई के बहाने सभी 33 पार्षदों को डिब्बे भी भिजवा दिए हैं। इसलिए भाजपा खेमा घबराया हुआ है कि कहीं भाजपा का ही कोई दावेदार पार्षद बागी के तौर पर अध्यक्ष पद के लिए उतरकर निर्दलियों और कांग्रेस के पार्षदों से जोड़-तोड़ कर मैदान में सामने ना आ जाए , जिससे पार्टी में ही फूट दिखाई देगी, इसलिए नो रिस्क? चलो सभी को भोपाल के आसपास का नजारा दिखा लाते हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा अपने सभी 19 पार्षदों को अगले एक-दो दिन में सुरक्षित भोपाल शिफ्ट कर देगी, ताकि सभी 19 नजरों के सामने रहें, इधर-उधर तांका- झांकी न कर सकें।