बहू को जिंदा जलाने के आरोप में पति सास-ससुर को आजीवन कारावास

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वारासिवनी न्यायालय के द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की अदालत ने 5 जनवरी को नवविवाहिता के मौत के मामले में तीन आरोपी राजेंद्र बिसेन मानिकराम बिसेन जीरनबाई बिसेन को आजीवन कारावास की सजा से दंडित कर उन्हें सजा सुनाई। प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतिका दुर्गेश्वरी पति राजेंद्र बिसेन उम्र 24 वर्ष निवासी बडगांव पिपरिया का विवाह राजेंद्र बिसेन के साथ 29 अप्रैल 2018 को सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ था। जिसके कुछ दिनों बाद पति राजेंद्र मानिकराम बिसेन उम्र 29 वर्ष, ससुर मानिकराम कानाजी बिसेन उम्र 59 वर्ष, सास जीरनबाई मानिकराम बिसेन उम्र 57 वर्ष के द्वारा मृतिका को दहेज को लेकर प्रताड़ित किया जाने लगा। जिसके बाद मृतिका के पिता ने दहेज रूप में 25000 रुपए अपने जवाई राजेंद्र को दिये परंतु उसके बाद फिर उक्त लोग मृतिका को मायके से एक लाख रुपए लेकर आने के लिए शारीरिक मानसिक प्रताड़ित करने लगे। जिसको लेकर मृतिका ने अपने परिवार के लोगों को जानकारी दी जिनके द्वारा मृतिका के ससुराल पक्ष को समझाइश दी गई परंतु उनके द्वारा दहेज के लिए प्रताड़ित करना जारी रखा गया। जिसमे उन्होंने अंततः 29 दिसंबर 2019 को सभी आरोपी एक राय होकर मृतिका दुर्गेश्वरी पति राजेंद्र बिसेन उम्र 24 वर्ष को जान से मारने की नियत से उसके ऊपर मिट्टी तेल डालकर माचिस की तीली से आग लगा दी। जिसमें नवविवाहिता दुर्गेश्वरी आग की लपटों में दहक कर जलने लगी जिसकी सूचना उस समय मृतिका के भाई लोकेश राहंगडाले को पता चली कि तुम्हारी बहन को जला दिए हैं तो वह अपने मित्र अमित के साथ तत्काल अपने जीजा के घर पहुंचा और देखा तो उसकी बहन आग में जली हुई जमीन पर गिरी पड़ी थी। जिसे उसके द्वारा तत्काल उठाकर बालाघाट जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया जहां पर उपचार के दौरान कुछ दिनों बाद दुर्गेश्वरी की मौत हो जाने पर पुलिस के द्वारा मामले में मर्ग कायम कर जांच में लिया गया। जिसमे मर्ग जांच के उपरांत वारासिवनी पुलिस ने आरोपी पति राजेंद्र बिसेन, ससुर मानिकराम बिसेन, सास जीरनबाई बिसेन के खिलाफ भादवि की धारा 307 498ए 304बी 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। जिसके बाद से उक्त प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन था जिसमें द्वितीय अपर सत्र न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी ने समस्त गवाह साक्ष्य के आधार पर तीनों आरोपियों का दोष सिध्द होने पर उन्हें भादवि की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उक्त प्रकरण में पीड़िता की ओर से शासकीय अधिवक्ता महेंद्र मिश्रा के द्वारा पैरवी की गई।

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