ढाका: ऐसा लगता है कि बांग्लादेश ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी चलाने की योजना बना ली है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने जमीनी बंदरगाहों के माध्यम से भारत से होने वाले कच्चे धागे के आयात को निलंबित कर दिया है। बांग्लादेश के राष्ट्रीय राजस्व बोर्ड (NBR) के आदेश के बाद अब बेनापोल, भोमरा, सोनमस्जिद, बंग्लाबांदा और बुरीमारी भूमि बंदरगाहों के माध्यम से कच्चे धागे के आयात की अनुमति नहीं होगी। ये बंदरगाह भारत से कच्चे धागे के आयात के प्राथमिक प्रवेश बिंदु थे। बांग्लादेश की कपड़ा इंडस्ट्री के भारत से सस्ता कच्चा धागा वरदान की तरह है।
फैसले के पीछे बांग्लादेश ने बताई ये वजह
आयात रोकने के लिए तर्क दिया गया था कि सस्ता भारतीय सूत स्थानीय उत्पादकों को नुकसान पहुंचा रहा है। इसके बाद मार्च में बांग्लादेश व्यापार और टैरिफ आयोग ने घरेलू कपड़ा उद्योग की रक्षा के लिए जमीनी बंदरगाह आयात को अस्थायी रूप से निलंबित करने की सिफारिश की।
बांग्लादेश के आयातकों में डर
सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारत से आने वाले शिपमेंट स्थानीय धागे के साथ ही चीन, तुर्की और उजबेकिस्तान जैसे देशों से आयात की तुलना में काफी सस्ते थे। कुछ मामलों में भारतीय धागा चटगांव कस्टम हाउस से घोषित की गई कीमतों से भी कम कीमत पर बांग्लादेश में प्रवेश करता है। एनबीआर के चेयरमैन अब्दुर रहमान खान ने कहा कि यह फैसला घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए लिया गया है। हालांकि, आयातकों को चिंता है कि इससे लागत बढ़ेगी और कच्चे माल की खरीद में देरी होगी। विशेषज्ञों ने भी ऐसी ही चेतावनी दी है।
इससे पहले भारत ने बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस ले ली थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने हाल ही में कहा, बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा के कारण हमारे हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर काफी भीड़ हो गई थी।