बांग्लादेश हो या श्रीलंका, चीन की असली चाल तो पड़ोसी के कंधे पर बंदूक रख भारत को घेरने की है

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कई दक्षिण एशियाई देश मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। पिछले दिनों बांग्लादेश में जिस तरह से तख्ता पलट हुआ, उसने भारत की चिंता जरूर बढ़ाई। इससे पहले श्रीलंका में भी ऐसा ही हुआ था। श्रीलंका में चीन का हस्तक्षेप किसी से नहीं छिपा। इसके अलावा पाकिस्तान तो कभी भी हमारा साथी नहीं रहा है। चीन सबसे बड़ा दुश्मन बना बैठा है। चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत पड़ोस के देशों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने में जुटा है। ऐसे में बांग्लादेश और श्रीलंका भविष्य में भारत की चिंता बढ़ा सकता है।

मुश्किल दौर से गुजर रहा है हिंद महासागर क्षेत्र

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि दक्षिण एशियाई और हिंद महासागर क्षेत्र मुश्किल दौर से गुजर रहा है। श्रीलंका में अगले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 21 सितंबर को वोटिंग होगी। श्रीलंका में जब भयानक आर्थिक संकट चल रहा था, तब विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति पद संभाला था। उन्होंने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का काम किया है।

मालदीव और बांग्लादेश के भी हालात खराब

इसके अलावा मालदीव भी आर्थिक संकट से जूझ रहा है। मालदीव को दूसरे देशों से मदद की जरूरत है। वहीं बांग्लादेश भी राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। बांग्लादेश के मुद्दे का भारत पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। 2022 में जब रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति पद संभाला था, तब श्रीलंका आर्थिक संकट के कारण भड़के जन अशांति से जूझ रहा था। देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके कारण हजारों लोग राष्ट्रपति भवन में घुस गए। तत्कालीन राष्ट्रपति को देश छोड़कर भागना पड़ा। ये ही घटना पिछले दिनों बांग्लादेश में भी देखी गई।

श्रीलंका में भी चीन का हस्तेक्षप

वहीं श्रीलंका और भारत के संबंध हमेशा बेहतर रहे हैं। लेकिन चीन का हस्तक्षेप श्रीलंका में काफी ज्यादा बढ़ गया। इस बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा कि चीन के साथ हमारे अच्छे संबंध रहे हैं और हम ऐसा करना जारी रखेंगे। लेकिन हम पहले अपने हित देखेंगे। उन्होंने कहा कि लेकिन हम भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी शर्तों पर काम करेंगे, आखिरकार भारत हमसे सिर्फ बीस मील दूर है और हमारे बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ने वाला है। वे पहले से ही कई देशों के साथ काम कर रहे हैं। चीन अमेरिका के बाद एक वैश्विक शक्ति बनना चाहता है।

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