बाग उमराव दूल्हा में बना गैस राहत अस्पताल छह घंटे के लिए दिन में खुलता है। रहवासियों की मांग है कि इसे चौबीस घंटे के लिए खोला जाए, जिससे आपात स्थिति में लोगों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में पैसा नही खर्च करना पड़े। इसके साथ ही वार्ड में बीस साल पुराना मिडिल स्कूल है, इसे हायर सेकण्डरी किया जाना चाहिए। बच्चों को पढ़ने के लिए दो से तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है। बरखेड़ी फाटक के पास वर्षों से सड़कें उखड़ी हुई हैं, लेकिन नगर निगम द्वारा इसकी मरम्मत नहीं कराई गई। जनता क्वार्टर के 300 मकान कभी भी गिर सकते हैं। यहां नगर निगम ने खाली करने के लिए सूचना बोर्ड भी लगा दिया है। लेकिन अब तक इन्हें ना तो खाली कराया गया और ना ही यहां रहने वाले लोगों को विस्थापित किया गया। रहवासियों को इसके गिरने का डर सता रहा है, लेकिन विकल्प नहीं होने की वजह से गरीब जनता इन्हीं मकानों में रहने को मजबूर है।
रहवासियों का कहना है कि वार्ड 40 की कालोनियों में नियमित साफ-सफाई नहीं की जा रही है। बस्तियों में कचरे का ढेर लगा है। यहां वर्षों से सड़कों का निर्माण नहीं किया गया, इनमें बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। राहगीर दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। कालोनियों के साथ मुख्य सड़कों के किनारे स्ट्रीट लाइट नहीं होने से रात में वाहन चलाना मुश्किल हो गया है। वार्ड की कालोनियों और बस्तियों में पक्की नालियों का निर्माण नहीं होने से लोगों के घरों का गंदा पानी सड़कों में बहता है। वहीं जहां नालियां बनी हैं, उनके ऊपर अतिक्रमण हो गया है। जिससे नालियां चोक हो गई हैं। इसकी गंदगी व दुर्गंध से रहवासियों का घरों में रहना मुश्किल हो गया है। मोहल्ले में मच्छरों की संख्या बढ़ती जा रही है। लोगों के घरों में नर्मदा जल क कनेक्शन दिया गया है। लेकिन इसमें प्रेशर कम आने से लोगों पर्याप्त पानी नहीं मिलता। सप्ताह में चार दिन में एक बार कचरा उठाया जाता है। यदि शिकायत की जाती है तो सुनवाई नहीं होती है।
राजधानी में रहवासियों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। गली-मोहल्लों की नियमित साफ-सफाई की जा रही है। वार्ड में अधिकतर स्थानों पर सड़कें भी बनवाई गई हैं। जहां कमी है चुनाव के बाद वहां भी सड़क निर्माण किया जाएगा।